पृष्ठ:रज़ीया बेगम.djvu/१२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(पहिला
रजीयाबेगम।

उसने दो बच्चे जने थे, जिनमें एक लड़का था और दूसरी लड़की। लड़का तो यही आरामशाह था, जो क तबुद्दीन के मरने पर दिल्ली के तख़्तपर बैठा, और लड़की, जिसका नाम कुसीदा था, कुतबुद्दीन के एक गुलाम शमसुद्दीन अलतिमश को ब्याही गई थी।

कुतबुद्दीन ऐबक ने शमसुद्दीन अलतिमश को किसी समय एक हज़ार रुपये पर मोल लिया और अरबी फ़ारसी पढ़ा लिखा कर बड़े प्यार से अपने पास रक्खा था और अपनी लड़की कुसीदा का निकाह भी उसके साथ करा दिया था। क्योंकि वह ग़ुलाम था, इसलिये गुलामों की कदर खूब जानता था । सो जब उस (कुतबुद्दीन ) के मरने पर उसका बेटा आरामशाह दिल्ली के तख्त पर बैठा था; उस समय शमसुद्दीन अलतिमश बिहार का सूबेदार था । कुतबुद्दीन के मरने की खबर सुनते ही वह दिल्ली चला आया और मौका ढूंढने लगा। बेचारा आरामशाह सालभर भी तस्तपर बैठने न पाया था कि शमसुद्दीन अलतिमश ने उससे तख्त छीन ताज बादशाही का अपने सिर पर रक्खा (सन् १२११ ई०) और फिर किसी ढब से उसे मरवा डाला।

शमसुद्दीन अलतिमश ने दिल्ली के तख़्तपर बैठ कर भली भांति राजकाज चलाया, बहुतेरे देशों को दिल्ली में मिलाया, अपना अच्छा दबदबा जमाया और लगभग पच्चीस छब्बीस बरस के राज्य किया।(१)

इसकी बेगम कुसीदा ने चार बच्चे जने थे, जिनमें तीन बेटे थे और चौथी बेटी । लड़कों में एक का नाम था रुकनुद्दीन फ़ीरोज़- शाह, दूसरे का मुइज़्जुद्दीन बहराम, तीसरे का नासिरुद्दीन मह- मूद, तथा लड़की का नाम रज़ीया था, जो इस उपन्यास की प्रधान नायिका है और जिसके तख्तपर बैठने का ही महोत्सव आज दिल्ली की अपूर्व शोभा दिखला रहा है !!! इसीसे कहते हैं कि दिल्ली में आज बड़ी धूम है!!!

मार्च, सन् १२३६ ई० में सुलतान में शमसुद्दीन अलतिमश जब परलोक सिधारा, तो उस समाचार को सुन, उसका बड़ा लड़का


(१) इसीके समय तातारी मुग़लों के सर्दार चंगेज़ख़ां ने सिंधुपार के देशों में प्रलय का सा मचाया था।