पृष्ठ:रज़ीया बेगम.djvu/११७

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परिच्छेद)
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रङ्गमहल में हलाहल।


से मतलब?"

नकाबपोश,-"बाक़ई ! आपने, सुल्ताना! अपने खान्दान की हैसियत के बमुजिब ही यह काम किया है । सच है, गुलाम खान्दान की लड़की का दिल गुलाम को छोड़ और किसके साथ आशनाई करने के वास्ते रुजू होगा?"

रज़ीया,-"तू क्या वाही बकता है?"

नकाबपोश.-"मैं बहुत सही कह रहा हूं,--और देखो, इस बात पर तुम्हीं गौर करो कि मेरा कहना सही है या नहीं ! हिन्दुस्तान के फ़तह करनेवाले शहाबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी ने अपने गुलाम कुश्बु- द्दीन ऐबक को हिन्दुस्तान के तहतपर बैठाया था । फिर उसने अपनी लड़की अपने गुलाम कुतबुद्दीन को ब्याहदी; और कुतबुद्दीन ने अपनी लड़की अपने गुलाम शमसुद्दीन अलतिमश को दी थी, जिसः कम्बरन ने अपने मालिक ( क तवुद्दीन ) के बेटे, दिल्ली के दूसरे बादशाह आरामशाह को मार, बादशाहो का ताज अपने सिर पर रक्खा था । हज्रत ! आप उसी गुलाम अलतिमश की लड़की हैं, फिर आपका दिल अगर गुलाम के ऊपर चल गया तो इसमें चटकने को क्या बात है और मैंने झूठही क्या कहा है?"

रज़ीया,-"ख़ैर, जो कुछ हो, मगर तुम्हें इन बातों से क्या मतलब है?"

नकाबपोश,-"यही कि एक मियान में दो तल्वारें नहीं रह सकती।"

रज़ीया,-" इसका क्या मतलब है !"

नकाबपोश,-" यही 'कि रीया के दो चाहनेवाले दुनियां में जिन्दः नहीं रह सकते।"

रज़ीया,-"मगर, कम्बख़ ! मैं तुझे नहीं चाहती।"

नकाबपोश,-"और अय नेकबत् । तुझे गुलाम याकूब नहीं चाहता!!!"

रज़ीया हैरान थी कि, 'यह पोशीदा बात क्यों कर ज़ाहिर होगई !' कभी वह सौंसन पर शक करती और कभी याकूब पर; और कभी उसे ज़ोहरा पर शक होता और कभी गुलशन पर; मगर अन्त में उसका शक सौसन, गुलशन और याकूब ब ही पर हुआ और उसने मनही मन इस बात का निश्चय कर लिया कि, "यह