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रघुवंश।

नभस्थली ने, और अग्नि के फेंके हुए महादेव के तेज, अर्थात् कार्त्तिकेय को, जिस तरह गङ्गा ने धारण किया था उसी तरह आठों दिक्पालों के गुरुतर अंशों से परिपूर्ण गर्भ को, सुदक्षिणा ने, दिलीप के वंश का ऐश्वर्य बढ़ाने के लिए, धारण किया। नन्दिनी का वरदानरूपी पादप शीघ्रही कुसुमित हो उठा।