पृष्ठ:रघुवंश (अनुवाद).djvu/४३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३३
कालिदास का रघुवंश।

वाल्मीकि-रामायण का अनुधावन नहीं किया। रघुवंश में कितने ही स्थल ऐसे हैं जहाँ की कथा वाल्मीकि रामायण से नहीं मेल खाती। यहाँ तक कि रामायण में दी हुई वंशावली से भी रघुवंश की राज वंशावली नहीं मिलती। कुश के उत्तरवर्ती जिन बीस पच्चीस राजाओं का संक्षिप्त वर्णन रघुवंश में है उनका वृत्तान्त तो कालिदास को अवश्य ही और कहीं से मिला होगा। अध्यात्म-रामायण, अग्निपुराण, विष्णुपुराण और पद्मपुराण के पाताल-खण्ड, रामाश्वमेध आदि में भी रामचन्द्र और रघुवंशी राजाओं का वृत्तान्त है। विद्वानों की राय है कि ये पुराण कालिदास के समय में भी, किसी न किसी रूप में, अवश्य वर्तमान थे। अतएव, वाल्मीकि-रामायण के सिवा अन्यत्र से भी रघुवंश की कथा-सामग्री प्राप्त करने के लिए कालिदास को सुभीता अवश्य था।

रघुवंश में कालिदास ने जिन रघुवंशी राजाओं का चरित लिखा है उनके नाम ये हैं:—

१—दिलीप
२—रघु
३—अज
४—दशरथ
५—रामचन्द्र
६—कुश
७—अतिथि
८—निषध
९—नल
१०—नभ
११—पुण्डरीक
१२—क्षेमधन्वा
१३—देवानीक
१४—अहीनगु
१५—पारियात्र

१६—शिल
१७—उन्नाभ
१८—वज्रनाभ
१९—शङ्खण
२०—व्युषिताश्व
२१—विश्वसह
२२—हिरण्यनाभ
२३—कौशल्य
२४—ब्रह्मिष्ठ
२५—पुत्र
२६—पुष्य
२७—ध्रुवसन्धि
२८—सुदर्शन
२९—अग्निवर्ण

इनमें से रघु और रामचन्द्र का चरित कवि ने बड़े विस्तार से लिखा है। रामचन्द्र के लिए तो कालिदास ने दसवें से लेकर पन्द्रहवें सर्ग तक, ६ सर्ग, ख़र्च किये हैं। दिलीप, अज, दशरथ, कुश और अतिथि का चरित भी अच्छा लिखा है। परन्तु निषध से लेकर ध्रुवसन्धि तक का चरित, जो अठारहवें सर्ग में है, बहुत ही संक्षिप्त है। उसमें प्रत्येक के लिए एकही दो