योग-साधन में लीन रहने लगा। तरुण अज ने तो प्रजा के मामले-मुकद्दमे करने और उनकी प्रार्थनायें सुनने के लिए न्यायासन का आसरा लिया। बूढ़े रघु ने, चित्त की एकाग्रता सम्पादन करने के लिए, एकान्त में, पवित्र कुशासन ग्रहण किया। एक ने तो अपने प्रभुत्व और बल की महिमा से पास-पड़ोस के सारे राजाओं को जीत लिया; दूसरे ने गहरे योगाभ्यास के प्रभाव से शरीर के भीतर भ्रमण करने वाले प्राण, अपान और समान आदि पाँचों पवनों को अपने वश में कर लिया। नये राजा अज के वैरियों ने उसके प्रतिकूल, इस पृथ्वी पर, जितने उद्योग किये उन सब के फलों का उसने जला कर ख़ाक कर दिया; उनका एक भी उद्योग सफल न होने पाया। पुराने राजा रघु ने भी अपने जन्म-जन्मान्तर के कर्म्मों के बीजों को ज्ञानाग्नि से जला कर भस्म कर दिया, उसके सारे पूर्वसञ्चित संस्कार नष्ट हो गये। राजनीति में कहे गये सन्धि, विग्रह आदि छहों प्रकार के गुणों—व्यवहारों का अज को पूरा पूरा ज्ञान था। उन पर उसका पूरा अधिकार था। किस तरह के व्यवहार का कैसा परिणाम हेगा, यह पहले ही से अच्छी तरह सोच कर, उसने इनमें से जिस व्यवहार की जिस समय ज़रूरत समझी उसी का उस समय प्रयोग किया। रघु ने भी मिट्टी और सोने को तुल्य समझ कर माया के सत्य, रज और तम नामक तीनों गुणों को जीत लिया। नया राजा बड़ा ही दृढ़कर्म्मा था। कोई काम छेड़ कर बिना उसे पूरा किये वह कभी रहा ही नहीं। जब तक कार्य्यसिद्धि न हुई तक उसने अपना उद्योग बराबर जारीही रक्खा। वृद्ध राजा रघु भी बड़ा ही स्थिर-बुद्धि और दृढ़-निश्चय था। जब तक उसे ब्रह्म का साक्षात्कार न हो गया—जब तक उसने परमात्मा के दर्शन न कर लिये—तब तक वह योगाभ्यास करता ही रहा। इस प्रकार दोनों ही ने अपने अपने काम बड़ी ही दृढ़ता से किये। एक तो अपने शत्रुओं की चालों को ध्यान से देखता हुआ उनके सारे उद्योगों को निष्फल करता गया। दूसरे ने अपने इन्द्रियरूपी वैरियों पर अपना अधिकार जमा कर उनकी वासनाओं का समूल नाश कर दिया। एक ने लौकिक अभ्युदय की इच्छा से यह सब काम किया; दूसरे ने आत्मा को सांसारिक बन्धनों से सदा के लिए छुड़ा कर मोक्ष-प्राप्ति की इच्छा से किया। अन्त को दोनों के मनोरथ सिद्ध हो गये। दोनों ने अपनी अपनी अभीष्ट-सिद्धि पाई। अज ने अजेय-पद पाया; रघु ने मोक्ष-पद।
समदर्शी रघु ने, अज की इच्छा पूर्ण करने के लिए, कई वर्ष तक, योग-साधन किया। तदनन्तर, समाधि द्वारा प्राण छोड़ कर, मायातीत और अविनाशी परमात्मा में वह लीन हो गया।