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रघुवंश।
हुए; परन्तु जो राजा इन्दुमती को पाने की इच्छा से स्वयंवर में आये थे उनके कानों में ये काँटे के समान चुभ गये। उस समय एक तरफ़ तो वर-पक्ष के लोग आनन्द से फूले न समाते थे; दूसरी तरफ़ आशा-भङ्ग होने के कारण राजा लोग उदास बैठे हुए थे। ऐसी दशा में स्वयंवर-मण्डप के भीतर बैठा हुआ राज-समुदाय प्रातःकालीन सरोवर की उपमा को पहुँच गया—वह सरोवर जिसमें सूर्य्य-विकासी कमल तो खिल रहे हैं और चन्द्रविकासी कुमुद, बन्द हो जाने के कारण, मलिन हो रहे हैं।