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रघुवंश।

कर, वर्षा-ऋतु में, गोवर्धन पर्वत के रमणीय गुहा-गृहों के भीतर मोरों का नाच चैन से देख सकती है"।

सागर में जाकर मिलने वाली नदी, राह में किसी पर्वत के आ जाने पर, जिस तरह चक्कर काट कर उसके आगे निकल जाती है उसी तरह जल के भँवर के सदृश सुन्दर नाभिवाली इन्दुमती भी, उस राजा को छाड़ कर, आगे बढ़ गई। बात यह थी कि उसका पाना उस राजा के भाग्य ही में न था; वह तो और ही किसी की बधू होने वाली थी।

शूरसेन देश के राजा को छोड़ कर राज-कन्या, इन्दुमती, कलिङ्ग-देश के राजा, हेमाङ्गद, के पास पहुँची। यह राजा महापराक्रमी था। अपने शत्रुओं का सर्वनाश करने में इसने बड़ा नाम पाया था। एक भी इसका वैरी ऐसा न था जिसे इससे हार न माननी पड़ी हो। भुजबन्द से शोभित भुजा वाले इस राजा के सामने उपस्थित होकर सुनन्दा, पूर्णमासी के चन्द्रमा के समान मुखवाली इन्दुमती से, कहने लगीः—

"यह राजा महेन्द्र-पर्वत के समान शक्ति रखता है। यह महेन्द्राचल का भी मालिक है और महासागर का भी। ये दोनों ही इसी के राज्य की सीमा के भीतर हैं। युद्ध-यात्रा में इसके पर्वताकार मस्त हाथियों के समूह को देख कर यह मालूम होता है कि हाथियों के बहाने प्रत्यक्ष महेन्द्राचल ही, इसका सहायक बन कर, इसकी सेना के आगे आगे चल रहा है। कोई धनुर्धारी इसकी बराबरी नहीं कर सकता। धनुषधारी योद्धाओं में इसी का नम्बर सब से ऊँचा है। इसने अपने धन्वा को खींच खींच कर इतने बाण छोड़े हैं कि उसकी डोरी की रगड़ से इसकी दोनों सुन्दर भुजाओं पर दो रेखायें बन गई हैं। अपने शत्रुओं की राजलक्ष्मी को इसने अपनी भुजाओं से बलपूर्वक पकड़ पकड़ अपने यहाँ क़ैद किया है। पकड़ी जाने पर, उस लक्ष्मी के कज्जलपूर्ण आँसू इसकी भुजाओं पर गिरे हैं। इससे जान पड़ता है कि धनुष की डोरी की वे दो रेखायें नहीं, किन्तु शत्रु-लक्ष्मी के काले काले अश्रु-जल से छिड़के हुए दो रास्ते हैं। इसका महल समुद्र के इतना निकट है कि खिड़कियों से ही उसके उत्ताल तरङ्ग दिखाई देते हैं। इसके यहाँ, पहर पहर पर, समय की सूचक तुरही नहीं बजती। यदि बजे भी तो सागर की मेघ-गम्भीर ध्वनि में ही वह डूब जाय, सुनाई ही न पड़े। इस कारण समुद्र की गुरुतर गर्जना से ही यह घड़ी-घंटे का काम लेता है। स्वयं समुद्र ही इसे सोते से जगाता भी है। वह इसके राज्य में रहता है न! इसीसे उसे भी इसकी सेवा करनी पड़ती है। इसके राज्य में समुद्र के किनारे किनारे ताड़ के पेड़ों की बड़ी अधिकता है। उनके वन के वन