पृष्ठ:रघुवंश (अनुवाद).djvu/१०२

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रघुवंश।

समूह को खींच लेने के लिए उस तरफ़ जाते हैं, उसी तरह कुबेर की अधिष्ठित उस उत्तर दिशा में रहने वाले राजाओं को अपने तीव्र बाणों से छेद कर, उनका उन्मूलन करने के लिए, राजा रघु ने अपनी सेना को चलने की आज्ञा दी। मार्ग में उसे सिन्ध नदी पार करनी पड़ी। वहाँ, थकावट दूर करने के लिए, उसके घोड़ों ने नदी के तट पर ख़ूब लोटें लगाईं। उस प्रदेश में केसर अधिक होने के कारण नदी के तट केसर के तन्तुओं से परिपूर्ण थे। वे तन्तु घोड़ों की गर्दनों के बालों में बेतरह लग गये। अतएव अपनी गर्दनें बड़े ज़ोर ज़ोर से हिला कर घोड़े को वे तन्तु गिराने पड़े।

उत्तर दिशा में अपना अपूर्व पराक्रम दिखला कर रघु ने सारे हूण-राजाओं का पराभव कर दिया। युद्ध में पतियों के मारे जाने से उन राजाओं की रानियों ने, देश की रीति के अनुसार, बहुत सिर पीटा और बहुत रोईं। इससे उनके कपोल लाल हो गये। यह लालिमा क्या थी, राजा रघु के बल-विक्रम ने उन अन्तःपुर-निवासिनी स्त्रियों के कपोलों पर अपने चिह्न से कर दिये थे।

इसके अनन्तर रघु ने काम्बोजदेश पर चढ़ाई की। वहाँ के राजा उसके प्रखर प्रताप को न सह सके। अख़रोट के पेड़ों की पेड़ियों से बाँधे जाने से रघु के हाथियों ने जैसे उन्हें झुका दिया था वैसे ही रघु के प्रबल पराक्रम ने उन राजाओं को भी झुका कर छोड़ा। रघु की शरण आ आकर किसी तरह उन्होंने अपने प्राण बचाये। परास्त हुए काम्बोज देशीय राजा, अपने यहाँ के उत्तमोत्तम घोड़ों पर सोना लाद लाद कर, रघु के पास उपस्थित हुए। ऐसी बहुमूल्य भेटें पाकर भी रघु ने गर्व को अपने पास नहीं फटकने दिया। उसे उसने दूर ही रक्खा।

अब उसने हिमालय पर्वत पर चढ़ जाने का निश्चय किया। और सेना को तो उसने नीचे ही छोड़ा, केवल अश्वारोही सेना लेकर उसने वहाँ से प्रस्थान किया। जिस रास्ते से उसे जाना था उसमें गेरू आदि धातुओं की बड़ी अधिकता थी। इस कारण उसके घोड़ों की टापों से उड़ी हुई उन धातुओं की धूल से हिमालय के शिखर व्याप्त हो गये। उस समय उस धूल के उड़ने से ऐसा मालूम होने लगा जैसे पहले की अपेक्षा उन शिखरों की उँचाई बढ़ सी रही हो। राजा रघु की सेना का कोलाहल-शब्द हिमालय की गुफ़ाओं तक के भीतर पहुँच गया। उसे सुन कर वहाँ सोये हुए सिंह जाग पड़े और अपनी गर्दनें मोड़ मोड़ कर पीछे की तरफ़ देखने लगे। रघु के घोड़ों को देख कर उन्होंने यह समझा कि वे हम लोगों से विशेष बलवान् नहीं; हमारी ही बराबरी के हैं। अतएव उन से डरने