यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

सोलहवाँ सर्ग।

कुश की राज्यप्राप्ति, अयोध्या का फिर से बसना,

ग्रीष्म का आगमन और जलविहार आदि।

रामचन्द्र आदि चारों भाइयों के दो दो पुत्र मिला कर सब पाठ भाई हुए। इन रघुवंशी वीरों में उम्र के लिहाज़ से और गुणों के भी लिहाज़ से कुश ही सब से बड़ा था। अतएव, उसके अन्य सातों भाइयों ने उसी को श्रेष्ठता दी और उत्तमोत्तम पदार्थों का अधिकांश भी उसी के पास जाने दिया । भाई भाई में प्रीति का होना रघुवंशियों के कुल की रीति ही थी । अतएवं, इन लोगों में, किसी भी वस्तु के लिए, कभी भी, परस्पर झगड़ा-फ़िसाद न हुआ। ये आठों भाई बड़े ही प्रतापी हुए । जिस तरह समुद्र अपनी तटवर्तिनी भूमि से कभी आगे नहीं बढ़ता उसी तरह इन आठों भाइयों ने भी, अपने राज्य की सीमा का उल्लङ्घन करके, कभी अपने अन्य भाइयों की राज्य की सीमा के भीतर कदम न रक्खा । विशेष करके जङ्गली हाथियों को पकड़ने, नदियों पर पुल बनवाने, खेती और बनिज-व्यापार की रक्षा करने आदि ही में इन्होंने अपने पुरुषार्थ का उपयोग किया; और, इन कामों में इन्हें सफलता भी हुई। चतुर्भुज विष्णु के अवतार रामचन्द्रजी से उत्पन्न हुआ, इन लोगों का वंश, सामयोनि-सुरगजों के समान, आठ शाखाओं में बँट कर, खूब फैल गया । सामवेद का गान करते समय ब्रह्माजी से उत्पन्न हुए सुरगजों के वंश की तरह इनके वंश की भी बहुत बाढ़ हुई । इनके वंश ने बाढ़ में भी सुरगजों की बराबरी की और दान में भी । सुरगज जिस तरह दान ( मद की धारा ) ब्रहाने में निरन्तर प्रवृत्त रहते हैं उसी तरह इनका