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कालिदास का समय।

(४) कुमारगुप्त,प्रथम ,शासन-काल ४१३ से ४८० ईसवी त . (५) स्कन्दगुप्त (६) नरसिह गुप्तशासनकाल ईसा की पाँचवीं (७) यशोधा (विक्रमादित्य) ।

शताब्दी के अन्त से छठी शताब्दी के प्रथमाई तक ।

इनमें से पहले ६ राजाओं की राजधानी पुष्पपुर या पटना थी। पर अन्तिम राजा यशोधा की राजधानी उज्जेन थी। यह पिछला राजा गुप्त राजाओं का करद राजा था। पर गुप्तों की शक्ति क्षीण होने पर यह स्वतन्त्र हो गया था। इन राजाओं में से तीन राजाओं ने-पहले, तीसरे और सातवे ने विक्रमादित्य की पदवी ग्रहण की थी। ये राजा बड़े प्रतापी थे । इसी से ये विक्रमादित्य उपनाम से अभिहित हुए।

परन्तु डाकर हार्नले आदि की पूर्वोक्त युक्तियों के आविष्कार-विषय में एक झगड़ा है । बाबू बी० सी० मजूमदार कहते हैं कि इसका यश मुझे मिलना चाहिए । इस विषय में उनका एक लेख जून १९११ के माडर्न रिव्यू में निकला है। उसमें वे कहते हैं कि १९०५ ईसवी में मैंने ही इन बातों को सबसे पहले हूँढ निकाला था। बँगला के भारतसुहृद् नामक पत्र में "शीतप्रभाते” नामक जो मेरी कविता प्रकाशित हुई है उसमें सूत्ररूप से मैंने ये बातें छः सात वर्ष पहले ही लिख दी थीं । १९०९ में इस विषय में मेरा जो लेख रायल एशियाटिक सोसायटी के जर्नल में निकल चुका है उसमें इन बातों का मैंने विस्तार किया है। अब इनका मत सुनिए।

डाकृर हार्नले की राय है कि उज्जेन का राजा यशोधर्मा ही शकारिविक्रमादित्य है और उसी के शासन काल या उसी की सभा में कालिदास थे। कारण यह कि ईसा के ५७ वर्ष पूर्व विक्रमादित्य नाम का कोई राजा ही न था । जैसी कविता कालिदास की है वैसी कविता-वैसी भाषा,वैसी भावभङ्गी-उस ज़माने में थी ही नहीं है । ईसा की पाँचवीं और छठी

  • कालिदास के पूर्ववर्ती भास कवि के स्वप्नवासवदत्तम् आदि कई नाटक जो अभी हाल में प्रकाशित हुए हैं उनमें कालिदास ही की जैसी कविता और भाषा है। अतएव,जो लोग यह समझते थे कि ईसा के पूर्व पहले शतक में कालिदास के ग्रंथों की जैसी परिमा- र्जित संस्कृत का प्रचार ही न था उनके इस अनुमान को महाकवि भास 'के ग्रंथों ने निर्मल सिद्ध कर दिया।