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शङ्कर दयाल हाथ जोड़ कर बोला—"तो क्या चिन्ता है, मैंने भी तो लड़की की नकली जन्मपत्री आपको दी थी ! हिसाब किताब बराबर न आपको शिकायत न मुझे।"

रामशरण का मुँह धुआं हो गया। यह बार भी उलटा उन्हीं पर पड़ा। रोते-पीटते घर वापिस आये।