यह पृष्ठ प्रमाणित है।
४११
रंगभूमि


सरदार साहब ने विस्मित होकर कहा—"यह आप क्या कह रहे हैं? मुझे जो सूचना मिली है, वह तो यह कहती है कि आपसे मिसेज क्लार्क की मुलाकात हुई और अब मुझे आपसे होशियार रहना चाहिए। देखिए, मैं वह खत आपको दिखाता हूँ।"

यह कहकर सरदार साहब मेज के पास गये, एक बादामी मोटे कागज पर लिखा हुआ खत उठा लाये और विनयसिंह के हाथ में रख दिया।

जीवन में यह पहला अवसर था कि विनय ने असत्य का आश्रय लिया था। चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। बात क्योंकर निबाहें, यह समझ में न आया। नायकराम भी फर्स पर बैठे थे। समझ गये कि यह अजमंजस में पड़े हुए हैं। झूठ बोलने और बातें बनाने में अभ्यस्त थे। बोले-"कुँवर साहब, जरा मुझे दीजिए, किसका खत है?"

विनय—"इंद्रदत्त का।"

नायकराम—"ओहो! उस पगले का खत है! वही लौंडा न, जो सेवा समिति में आकर गाया करता था? उसके माँ-बाप ने घर से निकाल दिया था। सरकार, पगला है। ऐसी ही ऊटपटाँग बातें किया करता है।"

सरदार—"नहीं, किसी पगले लौंडे की लेखन-शैली ऐसी नहीं हो सकती। बड़ा चतुर आदमी है। इसमें कोई संदेह नहीं। उसके पत्र इधर कई दिनों से बराबर मेरे पास आ रहे हैं। कभी मुझे धमकाता है, कभी नीति के उपदेश देता है। किंतु जो कुछ कहता है, शिष्टाचार के साथ। एक भी अशिष्ट अथवा अनर्गल शब्द नहीं होता। अगर यह वही इंद्रदत्त है, जिसे आप जानते हैं, तो और भी आश्चर्य है। संभव है, उसके नाम से कोई दूसरा ही आदमी पत्र लिखता हो। यह कोई साधारण शिक्षा पाया हुआ आदमी नहीं मालूम होता।"

विनयसिंह तो ऐसे सिटपिटा गये, जैसे कोई सेवक अपने स्वामी का संदूक खोलता हुआ पकड़ा जाय। मन में झुंझला रहे थे कि मैंने क्यों मिथ्या भाषण किया? मुझे छिपाने की जरूरत ही क्या थी। लेकिन इंद्रदत्त का इस पत्र से क्या उद्देश्य है? क्या मुझे बदनाम करना चाहता है?

नायकराम—"कोई दूसरा ही आदमी होगा। उसका मतलब यही है कि यहाँ के हाकिमों को कुँवर साहब से भड़का दे। क्यों भैया, समिति में कोई विद्वान आदमी था?"

विनय—"सभी विद्वान् थे, उनमें मूर्ख कौन है? इंद्रदत्त भी उच्च कोटि की शिक्षा पाये हुए है। पर मुझे न मालूम था कि वह मुझसे इतना द्वेष रखता है।"

यह कहकर विनय ने सरदार साहब को लजित नेत्रों से देखा। असस्य का रूप प्रतिक्षण भयंकर तथा मिथ्यांधकार और भी सघन होता जाता था।

तब वह सकुचाते हुए बोले—“सरदार साहब, क्षमा कीजिएगा, मैं आपसे झूठ बोल रहा था। इस पत्र में जो कुछ लिखा है, वह अक्षरशः सत्य है। निस्संदेह मेरी मुलाकात मिसेज क्लार्क से हुई। मैं इस घटना को आपसे गुप्त रखना चाहता था, क्योंकि