चय केवल एक वर्ष का है। अब तक मैं तुम्हारे लिए केवल एक रहस्य हूँ। क्यों, हूँ या नहीं?"
क्लार्क—"हाँ, सोफी! वास्तव में अभी मैं तुम्हें अच्छी तरह नहीं पहचान पाया हूँ।"
सोफिया—"फिर ऐसी दशा में तुम्हीं सोचो, हम दोनों का दांपत्य सूत्र में बँध जाना, कितनी बड़ी नादानी है। मेरे दिल की जो पूछो, तो मुझे एक सहृदय, सजन, विचारशील और सच्चरित्र पुरुष के साथ मित्र बनकर रहना उसकी स्त्री बनकर रहने से कम आनंददायक नहीं मालूम होता। तुम्हारा क्या विचार है, यह मैं नहीं जानती, लेकिन मैं स्त्री और पुरुष के संबन्ध को दो हृदयों के संयोग का सबसे उत्तम रूप नहीं समझती, मैं सहानुभूति और सहवास को वासनामय संबन्ध से कहीं महत्व-पूर्ण समझती हूँ।"
क्लार्क—"किंतु सामाजिक और धार्मिक प्रथाएँ ऐसे संबन्धों को......"
सोफ़िया—"हाँ, ऐसे संबन्ध अस्वाभाविक होते हैं और साधारणतः उन पर आचरण नहीं किया जा सकता। मैं भी इसे सदैव के लिए जीवन का नियम बनाने को प्रस्तुत नहीं हूँ, लेकिन जब तक हम एक दूसरे को अच्छी तरह समझ न लें, जब तक हमारे अंतःकरण एक दूसरे के सामने आईने न बन जायँ, उस समय तक मैं ऐसे ही संबंध को आवश्यक समझती हूँ।"
क्लार्क—"मैं तुम्हारी इच्छाओं का दास हूँ। केवल इतना कह सकता हूँ कि तुम्हारे बिना मेरा जीवन वह घर है, जिसमें कोई रहनेवाला नहीं; वह दीपक है, जिसमें उजाला नहीं; वह कवित्त है, जिसमें रस नहीं।"
सोफिया—"बस, बस। यह प्रेमियों की भाषा केवल प्रेम-कथाओं के ही लिए शोभा देती है। यह लो, पाँडेपुर आ गये। अँधेरा हो रहा है। सूरदास चला गया होगा। यह हाल सुनेगा, तो उस गरीब का दिल टूट जायगा।”
क्लार्क—"उसके निर्वाह का और कोई प्रबंध कर दूँ?”
सोफिया—"इस भूमि से उसका निर्वाह नहीं होता था, केवल मुहल्ले के जानवर चरा करते थे, वह गरीव है, भिखारी है, पर लोभी नहीं। मुझे तो वह कोई साधु मालूम होता है?"
क्लार्क—"अंधे कुशाग्र-बुद्धि और धार्मिक होते हैं।"
सोफिया—"मुझे तो उसके प्रति बड़ी श्रद्धा हो गई है। यह देखो, पापा ने काम शुरू कर दिया। अगर उन्होंने राजा की पीठ न ठोकी होती, तो उन्हें तुम्हारे सम्मुख आने का कदापि साहस न होता!"
क्लार्क—"तुम्हारे पापा बड़े चतुर आदमी हैं। ऐसे ही प्राणी संसार में सफल होते हैं। कम-से-कम मैं तो यह दोरुखी चाल न चल सकता।"
सोफिया—"देख लेना, दो-ही-चार वर्षों में इस मुहल्ले में कारखाने के मजदूरों के मकान होंगे, यहाँ का एक मनुष्य भी न रहने पायेगा।"
क्लार्क—'पहले तो अंधे ने बड़ा शोर-गुल मचाया था। देखें, अब क्या करता है?"