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रंगभूमि


मात्र भी दुःख न हुआ। उसने यह ऋण भी इन्दु ही के खाते में दर्ज किया ओर उसको प्रतिहिंसा ने और उग्र रूप धारण किया, उसने निश्चय किया—इस प्रहसन को आज ही प्रकाशित करूँगा। अगर एडीटर ने न छापा, तो स्वयं पुस्तकाकार छपवाऊँगी और मुफ्त बाँटूँगी। ऐसी कालिख लग जाय कि फिर किसी को मुँह न दिखा सके।

ईश्वर सेवक ने जॉन सेवक की कठोर बातें सुनीं, तो बहुत नाराज हुए। मिसेज सेवक को भी यह व्यवहार बुरा लगा। ईश्वर सेवक ने कहा-“न जाने तुम्हें अपने हानि-लाभ का ज्ञान कब होगा। बनी हुई बात को निभाना मुश्किल नहीं है। तुम्हें इस अवसर पर इतने धैर्य और गम्भीरता से काम लेना था कि जितनी क्षति हो चुकी है, उसकी पूर्ति हो जाय। घर का एक कोना गिर पड़े, तो सारा घर गिरा देना बुद्धिमता नहीं है। जमीन गई तो ऐसी कोई तदवीर सोचो कि उस पर फिर तुम्हारा कब्जा हो। यह नहीं कि जमीन के साथ अपनी मान-मर्यादा भी खो बैठो। जाकर राजा साहब को मि० क्लार्क के फैसले की अपील करने पर तैयार करो और मि० क्लार्क से अपना मेल-जोल बनाये रखो। यह समझ लो कि उनसे तुम्हें कोई नुकसान ही नहीं पहुँचा। सोफी को बरहम करके तुम क्लार्क को अनायास अपना शत्रु बना रहे हो। हाकिमों तक पहुँच रहेगी, तो ऐसी कितनी ही जमीनें मिलेंगी। प्रभु मसीह, मुझे अपने दामन में छिपाओ, और यह संकट टालो।"

मिसेज सेवक-"मैं तो इतनी मिन्नतों से उसे यहाँ लाई और तुम सारे किये-धरे पर पानी फेरे देते हो।"

ईश्वर सेवक-"प्रभु, मुझे आसमान की बादशाहत दे। अगर यही मान लिया जाय कि सोफी के इशारे से यह बात हुई, तो भी हमें उससे कोई शिकायत न होनी चाहिए, बल्कि मेरे दिल में तो उसका सम्मान और बढ़ गया है, उसे खुदा ने सच्ची रोशनी प्रदान की है, उसमें भक्ति और विश्वास की बरकत है। उसने जो कुछ किया है, उसकी प्रशंसा न करना न्याय का गला घोटना है। प्रभु मसीह ने अपने को दीन-दुखी प्राणियों पर बलिदान कर दिया। दुर्भाग्य से हममें उतनो श्रद्धा नहीं। हमें अपनी स्वार्थ-परता पर लजित होना चाहिए। सोफी के मनोभावों की उपेक्षा करना उचित नहीं। पापी पुरुष किसी साधु को देखकर दिल में शरमाता है, उससे वैर नहीं ठानता।”

जॉन सेवक-"यह न भक्ति है और न धर्मानुराग, केवल दुराग्रह और द्वेष है।"

ईश्वर सेवक ने इसका कुछ जवाब न दिया। अपनी लकड़ी टेकते हुए सोफी के कमरे में आये और बोले—"बेटी, मेरे आने से तुम्हारा कोई हरज तो नहीं हुआ?"

सोफिया-"नहीं-नहीं, आइए, बैठिए।"

ईश्वर सेवक-"ईसू, इस गुनहगार को ईमान की रोशनी दे। अभी जॉन सेवक ने तुम्हें बहुत कुछ बुरा-भला कहा है, उन्हें क्षमा करो। बेटी, दुनिया में खुदा की जगह अपना पिता ही होता है, उसकी बातों को बुरा न मानना चाहिए। तुम्हारे ऊपर खुदा का हाथ है, खुदा का बरकत है। तुम्हारे पिता का सारा जीवन स्वार्थ-सेवा में गुजरा है