यह पृष्ठ प्रमाणित है।
२२३
रंगभूमि

इंदु ने क्षीण स्वर में कहा-"नहीं, अच्छी तो हूँ। इस सर्दी-पाले में तो तुम्हें बड़ा कष्ट हुआ।"

सोफिया मानशीला स्त्री थी। इंदु की इस निष्ठुरता से उसके दिल पर चोट-सी लगी। पहला विचार तो हुआ कि उलटे-पाँव वापस जाऊँ; मगर यह सोचकर कि यह बहुत ही हास्य-जनक बात होगी, उसने दुस्साहस करके एक कुर्सी खींची और उस पर बैठ गई।

“आपसे मिले साल-भर से अधिक हो गया।"

"हाँ, मुझे कहीं आने-जाने की फुरसत कम रहती है। मड़ियाहू की रानी साहब एक महीने में तीन बार आ चुकी हैं, मैं एक बार भी न जा सकी।”

सोफिया दिल में हँसती हुई व्यंग्य से बोली-“जब रानियों को यह सौभाग्य नहीं प्राप्त होता, तो मैं किस गिनती में हूँ! क्या कुछ रियासत का काम भी देखना पड़ता है?"

"कुछ नहीं, सब कुछ। राजा साहब को जातीय कार्यों से अवकाश ही नहीं मिलता, तो घर का कारोबार देखनेवाला भी तो कोई चाहिए। मैं भी देखती हूँ कि जब इन्हीं कामों की बदौलत उनका वह सम्मान है, जो बड़े-से-बड़े हाकिमों को भी प्राप्त नहीं है, तो उनसे ज्यादा छेड़-छाड़ नहीं करती।”

सोफिया अभी तक न समझ सकी कि इंदु की अप्रसन्नता का कारण क्या है। बोली-"आप बड़ी भाग्यशालिनी हैं कि इस तरह उनके सत्कार्यों में हाथ बटा सकती हैं। राजा साहब की सुकीर्ति आज सारे शहर में छाई हुई है, लेकिन बुरा न मानिएगा, कभी-कभी वह भी मुँह-देखी कर जाते हैं और बड़ों के आगे छोटों की परका नहीं करते।"

"शायद उनकी यह पहली शिकायत है, जो मेरे कान में आई है।"

"हाँ, दुर्भाग्यवश यह काम मेरे ही सिर पड़ा। सूरदास को तो आप जानती ही हैं। राजा साहब ने उसकी जमीन पापा को दे दी है। बेचारा आजकल गली-गली दुहाई देता फिरता है। पिता के विरुद्ध एक शब्द भी मुँह से निकालना मेरे लिए लजास्पद है, यह समझती हूँ। फिर भी यह कहे बिना नहीं रहा जाता कि इस मौके पर राजा साहब को एक दीन प्राणी पर ज्यादा दया करनी थी।"

इंदु ने सोफिया को प्रश्न-सूचक नेत्रों से देखकर कहा-"आजकल पिता से भी अनबन है क्या?"

सोफिया ने गर्व से कहा-"न्याय और कर्तव्य के सामने पिता, पुत्र या पति का पक्षपात न किया जाय, तो कोई लज्जा की बात नहीं है।"

"तो तुम्हें पहले अपने पिता ही को सन्मार्ग पर लाना चाहिए था। राजा साहब ने जो कुछ किया, तुम्हारी खातिर किया, और तुम्हीं उन पर इलजाम रखती हो? कितने शोक की बात है! उन्हें मि० सेवक, मि. क्लार्क या संसार के किसी अन्य व्यक्ति से। दबने की जरूरत नहीं है, किंतु इस अवसर पर उन्होंने तुम्हारे पापा का पक्ष न किया