हमारी जाति ने अभी तक राजनीतिक क्षेत्र में पग ही नहीं रखा। यद्यपि देश में हम अन्य जातियों से शिक्षा में कहीं आगे बढ़े हुए हैं, पर अब तक राजनीति पर हमारा कोई प्रभाव नहीं है। हिंदुस्थानियों में मिलकर हम गुम हो जायँगे, खो जायँगे। उनसे पृथक्र हकर विशेष अधिकार और विशेष सम्मान प्राप्त कर सकते हैं।"
ये ही बातें हो रही थीं कि एक चपरासी ने आकर एक खत दिया। यह जिलाधीश मिस्टर क्लार्क का खत था। उनके यहाँ विलायत से कई मेहमान आये हुए थे! क्लार्क ने उनके सम्मान में एक डिनर दिया था, और मिसेज सेवक तथा मिस सोफिया सेवक को उसमें सम्मिलित होने के लिए निमंत्रित किया था। साथ ही मिसेज सेवक से विशेष अनुरोध भी किया था कि सोफिया को एक सप्ताह के लिए अवश्य बुला लीजिए।
चपरासी के चले जाने के बाद मिसेज सेवक ने कहा—"सोफी के लिए यह स्वर्ण-संयोग है।"
जॉन सेवक—"हाँ, है तो; पर वह आयेगो कैसे?"
मिसेज सेवक—"उसके पास यह पत्र भेज दूँ?”
जॉन सेवक—"सोफी इसे खोलकर देखेगी भी नहीं। उसे जाकर लिवा क्यों नहीं लाती?"
मिसेज सेवक—"वह तो आती ही नहीं।”
जॉन सेवक—"तुमने कभी बुलाया ही नहीं, आती क्योंकर?"
मिसेज सेवक-"वह आने के लिए कैसी शर्त लगाती है!"
जॉन सेवक—"अगर उसकी भलाई चाहती हो, तो अपनी शर्तों को तोड़ दो।"
मिसेज सेवक—"वह गिरजा न जाय, तो भी जबान न खोलूँ?"
जॉन सेवक—"हजारों ईसाई कभी गिरजा नहीं जाते, और अँगरेज तो बहुत कम आते हैं।"
मिसेज सेवक—"प्रभु मसीह की निंदा करे, तो भी चुप रहूँ?"
जॉन सेवक—'वह मसीह की निंदा नहीं करती, और न कर सकती है। जिसे ईश्वर ने जरा भी बुद्धि दी है, वह प्रभु मसीह का सच्चे दिल से सम्मान करेगा। हिंदू तक ईसू का नाम आदर के साथ लेते हैं। अगर सोफ़ी मसीह को अपना मुक्तिदाता, ईश्वर का बेटा या ईश्वर नहीं समझती, तो उस पर जब क्यों किया जाय? कितने ही ईसाइयों को इस विषय में शंकाएँ हैं, चाहे वे उन्हें भय वश प्रकट न करें! मेरे विचार में अगर कोई प्राणी अच्छे कर्म करता है और शुद्ध विचार रखता है, तो वह उस मसीह के उस भक्त से कहीं श्रेष्ठ है, जो मसीह का नाम तो जपता है, पर नीयत का खराब है।"
ईश्वर सेवक—"या खुदा, इस खानदान पर अपना साया फैला। बेटा, ऐसी बातें जबान से न निकालो। मसीह का दास कभी सन्मार्ग से नहीं फिर सकता। उस पर प्रभु मसीह की दयादृष्टि रहती है।"