पृष्ठ:योगवासिष्ठ भाषा (दूसरा भाग).pdf/९६६

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जाहिरात, नामपुस्तक की रु. आ ' सन्तप्रभाव--साधु श्रीमाणिकंदासजीकृत। यह ग्रन्थ सत्सं | गादि विषयमें अद्वितीय हैं अवश्य संग्रह करिये .. ... 0-६ सन्तोषसुरतरु-साधु श्रीमाणिकदासजी कृत । इस ग्रन्थके। पढनेसे डाकिनीरूप तृष्णाका अवश्य नाश होताहै. ... ०-६ स्वरूपानुसन्धान-वेदान्तियोंको अवश्य देखने तथा लेने योग्य ... ... ... ... ... ... ... २-० सारुक्तावली-भाषा हरदयालकृत. ... ... ... ... ०-३ स्वानुभवप्रकाश-हनुमद्रयासविरचित. ... ... ... ०-१॥ सुन्दरविलास-(ज्ञानलक्षुद्र ज्ञानविलास सुन्दाष्टकादिसहित ) सटिप्पण आदिले अन्ततक पढनेसे अवश्य ब्रह्मविचार होगा. ग्ले ज कागज ... ... ... ... ... ... ... १-० सूक्तावलीसहिता-सारुकावली भाषाटीकासहित ... ... ०-४ ज्ञानवैराग्यप्रकाश--( भाषा कात्तिक ) इस उपन्यासरूप | वेदान्तग्रन्थके देखनेसे विषयीपुरुषोंका भी चित्र संसारखे * उपरामको प्राप्त हो जाता है, फिर विरक्तोंकी कौन कथा है ०-१२ कपिलगीता-भाषाटीकासहित । श्रीमद्भागवतान्तर्गत श्रीभ गवान् कपिलदेवजीने अपनी माता देवहूतीको संपूर्ण ज्ञानपदेश किया है. ... ... ... ... ... ... गोरखपद्धति-भाषाटीकासहित । इस ग्रन्थमें योगाभ्यासका फल सुगम रीतिसे वार्णत है . ... ... ... ०-१० घेरण्डसंहिता–भाषाटीकासहित । इसमें-अष्टाङ्गयोगवर्णन । भलीभांति लिखागयाहै. ... ... ... ... ...। पातञ्जलयोगदर्शन--अत्युत्तम भाघाटीकासमेत इसमें| अष्टाङ्गयोगनिरूपण बहुतही सरल और सुगम लिखागयाहै ०-१२ भक्तिसागरादि ६ १७ ) ग्रन्थ-श्रीस्वामी चरणदासजीकृत । जिस्में-ब्रजचारित्र,अमरलोक, धर्मजहाज,श्रीअष्टाङ्गयोग, षट्कर्महठयोग, योगसन्देहसागर, ज्ञानस्वरोदय, पञ्च