यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
कृतज्ञता स्वीकार ।
बंगाली-लेखक बाबू दीनेन्द्रकुमार राय के " हमीदा " नामक उपन्यास की छाया पर यह उपन्यास लिखा गया है, इसलिये हम शुद्धान्तःकरण से उक्त बाबूसाहब की कृतज्ञता स्वीकार करते हैं।
" हमीदा" वियोगान्त उपन्यास है, पर हमने इसे संयोगान्त बनाया है। जो बंगला जानते हैं। वे इसके साथ बंगला के उपन्यास को पढ़कर यह बात भली भांति जान लेंगे कि हमारा यह उपन्यास " हमीदा" का अनुवाद नहीं है, वरन इसे हमने अपने ढंगपर पूरी स्वाधीनता से लिखा है, किन्तु जिसकी छाया पर यह लिखा गया है,उसकी कृतज्ञता स्वीकार करने के लिये इतना लिखना हमने उचित समझा।
विनीत-
ग्रन्थकार ।