थी कि राष्ट्रीय दलमें ही मतभेद हो जायगा। इसलिये उसने
प्रान्तीय सरकारोंके नाम एक पत्र भेजा जिसमें एक नयो
नीतिका वर्णन था। सर विलियम विन्सेण्टने व्यवस्थापक
सभा, २३ मार्चको भाषण करते हुए इस पत्रका जिक्र किया
था। इस पत्रमें लिखा था
इस समय भारत सरकार इस प्रकारके उपायोसे काम
लेना पसन्द करती है जैसे
(१) प्रामीण जनता, तथा बड़े बड़े नगरों अथवा व्यवसाय केन्द्रोंके श्रमजीवियामें असहयोगी लोग असन्तोष फैलानेके जो प्रयत्न करे उनपर दृष्टि रखना।
(२) जिन भिन्न प्रान्तोंमें आवश्यता हो उनमें कष्टनिवारक
कानून, जैसे किमानोंके सम्बन्धके कानून, शीघ्र ही हाथमें
लिये और बनाये जाय।
(३) प्रचारका उत्तर प्रचारसे दिया गया। उदाहरणके
लिये, सरकारको कष्टनिवारक कानून बनानेकी जो इच्छा है
वह खूब अच्छी तरह घोषित की जाय ।
(४) जो लोग राजद्रोहात्मक व्याख्यान देते हैं और
लोगोंको हिंसाके लिये उभारते हैं और जिनके विरुद्ध
प्रमाण मिल मके उनपर साधारण कानूनके अनुसार
अभियोग चलाया जाय।
भारत सरकार इस उपायसे जिसे वह अत्यन्त महत्वपूर्ण
समझती है, काम लेनेके लिये प्रान्तीय सरकारोंसे पहिले भी.