है तबतक सविनय अवज्ञा स्थगित रहे। उसके बाद यदि आवश्यक होगा तो कमेटी सविनय अवज्ञाकी सिफारिश करने में
आगा पीछा न करेगी, चाहे इसके लिये कांग्रेसका विशेष अधि-
वेशन करना पड़े। इसके साथ ही प्रत्येक प्रांत या स्थानको
यह अधिकार दिया जाता है कि अपनी प्रान्तीय कमेटीके द्वारा
कार्य समितिसे विधिवत् अनुमति लेकर अपने यहां सविनय
अवज्ञा आरम्भ कर दे।"
स्वतन्त्र मतका नैसर्गिक अधिकार ।
इसके बाद सर्गभारतीय कांग्रेस कमेटीको वैठक ४ और ५ नवम्बरको दिल्लीमें हुई। पहिली बैठकमें स्वदेशी और मादक
द्रव्य-निषेध सम्बन्धी जो प्रस्ताव स्वीकृत हुए थे उनके अनुसार
लोग बड़े उत्साहसे काम कर रहे थे। परन्तु अली भाइयोंकी
गिरफ्तारी और सजाने इस कामके शान्त क्रममें विघ्न डाल दिया
था। इसके प्रत्युत्तरमें कमेटीने प्रत्येक प्रान्तको कुछ शर्तों पर
यह अधिकार दे दिया कि वह अपने दायित्वपर सविनय अवज्ञा,
जिसमें टैक्स न देना भी मम्मिलित था, आरम्भ करे। उसके
उचित प्रकारका निर्णय तत्तत् प्रांतीय कमेटीपर छोड़ा गया।
कमेटोने निम्नलिखित विज्ञप्ति द्वारा अपना यह मत प्रगट कर
दिया कि सरकारी नौकरोंसे पदत्याग करनेके लिये कहने में अली
'बन्धु किसी अपराधके कर्ता नहीं थे –“प्रत्येक नागरिकका यह
नैसर्गिक अधिकार है कि वह सरकारी नौकरोंके सैनिक या
गैर-सैनिक नौकरी छोड़ देनेके औचित्यपर अपनी सम्मति प्रकट