ब्रिटिश शासन प्रणाली को उत्कृष्टता में मेरे अटल विश्वास के ही कारण मैंने अपने मुसलमान भाइयों का सलाह दिया है कि वे आपकी सरकार के साथ सहयाग त्याग दें और मैं अपने हिन्दू भाइयों को सलाह देता हू कि वे मुसलमानों का साथ दें।
तदनुसार पहली अगस्त को खिलाफत का दिन मनाया गया। अखिल भारतवर्षीय हड़ताल मनाई गई और असहयोग का प्रस्ताव स्वीकार किया गया। इसो अवसर पर आतहयाग व्रत स्वोकार करके महात्मा गाधी ने अपना कंसरे हिन्द का तमगा बडे लाट को वापिस किया और साथ ही निम्नलिखित पत्र लिखा - "विगत महीनो भे जा घटनाये हुई उनसं मुझे गुढ़ विश्वास हो गया कि खिलाफत के मामलेमे ब्रिटिश सरकार ने मुसलमानो के साथ घार अन्याय किया है और अपनी इस बेईमानी का छिपाने के लिये गलती पर गलती करती गई है। ऐसी सरकार के लिये मेरे हृदयम किसी तरह की श्रद्धा तथा भक्ति नही रह सकती। इसके अतिरिक्त पंजाब के मामले मे आपकी सरकार ने तथा ब्रिटिश सरकार ने जो न्याय शून्य पक्षपात दिखाया है उससे मेरा असन्तोष आपकी सरकार की ओर से और भी घट गया। पंजाब के अधिकारियों के अत्याचारों को आपने जिस उपेक्षा की दृष्टि से देखा,सर माइकल ओडायर के अत्याचारों की आपने जो प्रशंसा की,मिस्टर मांटेगू के खरीते तथा लार्ड सभाने पंजाब की घटनाओं पर जो अनजानकारी प्रगट की और हिन्दुस्तानियों के दुखों का जरा भी ख्याल नहीं किया गया, इन सब कारणों ने मेरे हृद।