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दो ही दिन बाद ३० मई को बनारस में अखिल भारतीय कांग्रेस- कमेटी की बैठक हुई और इसने हण्टर कमेटी की रिपार्ट तथा तुर्की के प्रश्नपर विचार किया। कमेटी की बैठक लगातार तीन दिन तक होती रही। अन्तमें यह निश्चय हुआ कि अमहयोग आन्दोलन पर विचार करने के लिये शीघ्र ही कार सका विशेष अधिवेशन किया जाय।

असहयोग की स्वीकृति

जून ३० १९२० को इलाहाबाद में हिन्दू तथा मुसलमानों की एक सम्मिलित ममा हुई और उसमें असहयोग का कार्यक्रम स्वीकार कर लिया गया और यह निश्चय हुआ कि एक मास की सूचना बड़े लाटको देकर इनको कार्यक्रम में लानका प्रबन्ध किया जाय। नगर नगर मे भिन्न भिन्न दलो को सभायें की गई। सभी में हण्टर कमेटी के रिपार्ट की निन्दा की गई तथा पञ्जार और खिलाफत के साथ किये गये अन्यायपर असन्तोष प्रगट किया गया। जून २२ को अनेक प्रधान मुसलमानों के हस्ताक्षर से बडे लाट के पास एक प्रार्थना पत्र भेजा गया कि बे चेपा करके तुर्की के साथ जो शत की गई हैं उनमें सुधार की योजना करें अन्यथा भारत के मुसलमान हिन्दुओ के साथ होकर असहयोग स्वीकार करेगे, उनमें यह भी लिखा था कि यदि बडे लाटने ध्यान नहीं दिया और उस पर कोई कार्रवाई नहीं की तो पहली अगस्त से हमलोग ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग करना छोड देंगे और हिन्दू तथा अन्य मुसलमानों से कहेंगे कि वे हमारा साथ