पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/६७

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नहीं है बल्कि भारत को समस्त हिन्दू जनता भी इस न्यायोचित मांगमें मुसलमानों का साथ दे रही है।

जा प्रतिनिधिमण्डल विलायत गया उससे भारत मन्त्री की ओर से मिस्टर फिशर ने मुलाकात की तथा प्रधान मन्त्री के पास भी उसने अपना निवेदन उपस्थित किया। डेपुटेशन ने सन्धि सभा के सुप्रोम कौंसिल के सामने भा अपनो प्रार्थना उपस्थित करनी चाहा पर उसे इजाजत नहीं मिला। उधर तो डेपुटेशन यूरोपकं भिन्न भिन्न नगरों में भ्रमण कर रहा था इधर मई १४, १९२० को तुर्कोक साथ जो मन्धि की जाने वाली थी उसका शत प्रकाशित कर दा गई और बड़े लाट की आरसे भारतीय मुसलमानों के नाम एक अलग पर्चा भी प्रकाशित हुआ जिसमें उन शर्तों की व्याख्या को गई थी। बड़े लाटने खेद प्रगट किया था कि उन शौसे मुसलमानां को दुःख और असन्तोष अवश्य होगा पर साथ हा आशा प्रगट की थी कि वे पूर्ण धैर्य और शान्तिस काम लेकर अपने धर्मभाई तुर्कों की इस विनाश गाथा को सुनकर चुप लगा न जायंगे। इन शोक प्रकाशित होने से मुसलमान एकदमस उत्तजित हो गये। इसी समय हण्टर कमेटी रिपोर्ट प्रकाशित हुई और इसने आगमें घीका काम किया। सारे देश में आग लग गई। निदान मई २८ १९२० को बम्बई मे खिलाफत कमेटी की पुनः बैठक हुई और उसने महात्मा गांधीके असहयोग आन्दोलनपर विचार किया। कमेटी का अन्तिम निर्णय यही हुआ कि अब मुसलमानों के उद्धार का एकमात्र यही मार्ग रह गया है। उसी के