पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/६४

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कि किसका साथ दें, किसकी सहायता करें। इसी समय 'प्रधान मन्त्रीको घाषणा हुई। उस घोषणाका सुनकर उन्होंने अंग्रेज सरकार का ही साथ देना निश्चय किया क्योंकि उस घोषणाके अनुसार उन्हें पूण आशा थी कि वे अपने धर्मकी रक्षा कर सकेगे। उसके पवित्र धर्मक्षेत्रों पर किसी तरहका संकट नही आवेगा और तुर्कों के साथ ऐसी शर्ते पेश का जायंगी जिमसे उनकी क्षति नहीं होगा। प्रधान मन्त्री ने अरेविया, मेसोपोटामिया तथा जेदाह के पवित्र धर्मक्षेत्रों पर हस्तक्षप न करने का वचन दिया था। प्रधान मन्त्रीने अपनी उस घाषणाने साफ कहा था:--"इस युद्धमे ब्रिटनके भाग लेनेका यह अभिप्राय नहीं है कि तुर्कोके हाथ उसके समृद्ध और उन्नत एशिया माइनर तथा थेस प्रदेश हर लिये जायं क्योकि उनपर तुओं का सालही आने हक है ।”


इधर तो मुसलमानोंने इम आशापर युद्धक्षेत्रोंमे अपने खून बहाथे कि हमारे धर्मक्षेत्र बचे रहेगें उनपर किसी तरहकी चाट नही पहुंचाई जायगा उधर युद्ध समाप्त हाते हो मित्रराष्ट्र विशेषकर ब्रिटन दिमाग फिर गये और वह तुकों का अंगभंग करनेका युक्तियां पाचने लगा। तुर्कीके साथ जो मन्धि-की जानेवालो था उसका मसौदा सुनकर मुसलमानोंक कान खडे हो गये। उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियोंके पास डेपुटेशनपर डेपुटेशन भेजना आरम्भ किया। प्रधान मंत्रीको उनके वचन स्मरण कराये और प्रार्थना की कि उसका पालन करना चाहिये। पर अधिकारियों ने इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया। वही कुटिल