पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/६०

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निदान जनता का एक दल पूर्ण शान्ति का साथ निहत्या डिफ्टी कमिश्रर के बङ्गले की तरफ इस लिय चला कि उससे प्रार्थना करके उन दोनों नेताओं को छोड़ा लें। रास्ते में वे रोके गये और जब उन्होंने मानना स्वीकार नहीं किया तो उन पर गोलियां चलाई गई। इससे जनता अतिशय उत्तेजित हो गई और उपद्रव मच गया। फिर क्या था क्रोध में अन्धी और रोषपूर्ण जनताने जो कुछ मनमें आया किया.1. बडों, तथा पोस्ट आफिसों कों लट लिया, उनमें तथा अन्य इमारतों में आग लगा दी, सरकारी धरों को जला दिया, अनेक अंग्रेजो की हत्यायें की और दा अंग्रेज़ी महिलाओं पर आक्रमण किया। किसी तरह शान्ति स्थापित की गई पर चारों ओर आतंक फैल गया था।

जालियांवाला बागका कत्लआम

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अमृतसर सैनिक शासन के अधीन कर दिया गया। ११ वीं अप्रेल की रात को जनरल डायर अमृतसर पहुंचे और नगर का अधिकार उनके हाथ में सौंप दिया गया। ११ वी तथा १२ वींको किसी तरह की दुर्घटना नहीं उपस्थित हुई। १३ वी अप्रेल को जालियांवाला बाग में एक साईजनिक समा होने वाली थी। जेनरल डायर ने सूचना निकाली थो कि कोई भी सार्वजनिक सभा न की जाय और यदि इसके प्रतिकूल आचरण किया गया तो प्राण जाने का मय