पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५९५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४३९
पहली अगस्त

इसके काम में कभी हाथ तक नहीं लगाया फिर भला मेरी सहायता की इस कब आवश्यकता रहती है।" पर वास्तव मे बात यह है कि हममें से प्रत्येक की सहायता बिना इस सरकार- का काम असम्भवसा समझिये। इसके प्रत्येक कार्य में हम प्रत्येक की सहायता रहती है। इसलिये इसके प्रत्येक काम को कुछ न कुछ जिम्मेदारी हम सबपर है। और जबतक सरकार के काम पूर्ण योग्यता के साथ किये जाते, हैं जबतक उसके आचरण बरदास्त करने योग्य होते हैं तबतक उसकी साथ देना, उसको सहायता करना, उसके कामों का समर्थन करना उचित है। पर जब वह देखता है कि सरकारी कार्रवाई से, उसके आचरण से हमारी जाति या हमारे देशका नाश हो रहा है, आत्मा पर चोट पहुंच रही है, घोर अपमान हो रहा है तो उसे तुरन्त उस सरकारका साथ छोड़ देना चाहिये और अपनी सहायतासे उसे उश्चित कर देना चाहिये।

पर साधारणतया इस कामको किस तरह चारितार्थ करना चहिये अर्थात् सरकार के साथ सहयोग किस तरह त्याग देना चाहिये, इस बात को प्रत्येक प्रजा नहीं जानती। यदि किसी तरह से क्रोध और गेषका अवसर मिल गया तो उसका परिणाम उपद्रव होगा, शान्ति से काम तभी चल सकता है जब किसी बात का प्रतिरोध या मुकाबिला हम दूरदर्शिता- पूर्ण बुद्धिमानी के साथ कर सकते हैं। इसलिये पूर्ण तरह से सफलता प्राप्त करने की पहली कुंजी यह है कि हमें हर तरह से