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पहली अगस्त

आन्दोलन धार्मिक है। इसलिये उपवास व्रत और प्रार्थना द्वारा इसकी धार्मिकता को प्रगट करनी होगा। अखिल भारतवर्षोय हड़ताल होनी चाहिये और शाम को सार्वजनिक सभायें करके तुर्को की सन्धि में परिवर्तन तथा पञ्जाब के अत्याचारों के प्रतीकार के लिये प्रस्ताव पास करना चाहिये। साथ ही इस बात की भी घोषणा कर देनी चाहिये कि जब तक न्याय नहीं होगा हम लोग बराबर व्रत पालन करेंगे।

सरकारो उपाधियों तथा अवैतनिक पदों का परित्याग भो उसी दिनसे आरम्भ होना चाहिये। लोगों का कहना है कि इसके लिये नोटिस देना चाहिये। उपाधियों तथा अवैतनिक पदों का परित्याग बिना सुचना के उचित नहीं होगा। जिस समय घोषणा की जा रही है वहीं उनके परित्याग के दिन की अवधि पर्याप्त नहीं है। जिन लोगों के हृदय में इस तरह को आशंका उठ रही है उनसे हमें कहना है कि पहली अगस्त तो केवल आरम्भ करने का दिन है। यहीं से अन्त नहीं हो जाता कि पर्याप्त समय की चिन्ता उठ खड़ी होती है। यह तो कहीं लिखा नहीं है कि केवल उसी दिन सबको उपाधियां और अवैतनिक उहदे त्याग देने चाहिये। उस दिन केवल आरम्भ होगा। मुझे तो यह भी आशा नहीं कि उस दिन उपाधि या अवैतनिक पद परित्याग करने वालों की किसी भी प्रकार सन्तोष जनक संख्या दृष्टिगोचर होगी। इसके लिये भी हमें भीषण आन्दोलन करना होगा, कड़ी परिश्रम करनी होगी। प्रत्येक