तरह चोट पहुँचाई है। पञ्जाब सरकारके असभ्य अधि-
कारियोंने निर्दोष स्त्री पुरुषोंका अपमान किया था और अब
उन लोगोंके साथ न्याय होना तो दूर रहा निर्द-
यता और पाशविकताके साथ पंजाबियोंके अपमान करनेवाले
अधिकारी अब तक अपने पदों पर बने हुए हैं।
जब मैंने पिछली साल अमृतसर कांग्रेसमें हृदयसे यह
प्रार्थना की थी कि सरकारका साथ सहयोग किया जाय और
शाही घोषणामें प्रगट की गई इच्छाओंका बदला चुकाया जाय
तब मैं यह विश्वास करता था कि एक नवीन युग सापित
होनेवाला है और भय और अविश्वासके स्थान पर सम्मान
विश्वास और मित्रताका साम्राज्य स्थापित होनेवाला है।
मुझे हृदयसे यह विश्वास था कि मुसलमानोंके भावोंको
सन्तुष्ट किया जायगा और पंजाबके फौजो शासनमें जिन
अधिकारियोंने कसूर किया था उन्हें कमसे कम बरखास्त तो कर
ही दिया जायगा तथा जनताको अन्य प्रकारसे भी यह अनुभव
करा दिया जायगा कि जो सरकार प्रजाकी ज्यादतियोंका उसे
दण्ड देने में सदा शीघ्रता किया करती है वह अपने कर्मचारियों-
के अपराधोंको भी दण्डित किये विना नहीं रहेगी। परन्तु अब
मुझे यह मालूम करके बहुत आश्चर्य और दुःख हुआ है कि
साम्राज्यके वर्तमान प्रतिनिधि बेईमान हो गये हैं । उनको भारतके
लोगोंकी इच्छाओंकी कोई परवा नहीं है और वे हिन्दुस्तानियोंके
मानको बिलकुल तुच्छ चीज समझते हैं।