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( अप्रेल २८, १९२० )
खिलाफत डेपुटेशन को प्रधान मन्त्री ने जो उत्तर दिया है उसका समाचार हमें अभी मिला है। मिस्टर लायड जार्ज का भाषण बड़े लाटके भाषण से ( जो उन्होंने भारतमें मुसलमानों के डेपुटेशन को उत्तर दिया है ) कहीं स्पष्ट है और इसलिये और भी निराशा पूर्ण है। जिन सिद्धान्तों के अनुसार दो वर्ष पहले उन्होंने अपना वचन दिया था उन्हींसे आज वे विचित्र विचित्र परिणाम निकाल रहे हैं। आपने कहा है तुकीको अपनी करनी का फल भोगना ही पड़ेगा । इन्हींके पूर्वज प्रधानमन्त्री ने भारतीय मुसलमानों के संनिकों को खुश करने के लिये स्पष्ट शब्दों में कहा था :-"ब्रिटिश सरकार तुर्की साम्राज्यपर कोई उद्देश्य नही रखती और तुर्की कमेटी की अनुचित कार्रवाई के लिये सुलतान को
किसी तरहका दण्ड नहीं दिया जायगा ।" क्या इस वचन के
पालन में प्रधानमन्त्री का वह उत्तर शोभा देता है ? क्या वह
उचित प्रतीत होता है ? मिस्टर लायड जार्ज ने कहा है :---"मैं
अच्छी तरह जानता हूँ कि अधिकांश तुर्क ब्रिटिश सरकार के
खिलाफ शस्त्र नहीं उठाना चाहते थे । पर वहांके अधिकारियों ने
प्रजाको धोखा दिया । इस तरह के विश्वास के होते हुए भी आप