पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५५

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एक दूसरा पहाड़ गिरा। इसी समय क्रान्तिकारी दल का अन्वेषण करने तथा उसका पता लगाने के लिये रौलट साहब की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बैठी थी। उसने बंगाल आदि देशों में भ्रमण किया और पता लगाया कि क्रान्तिकारी दल अब भी वर्तमान है और युद्ध के बाद इनसे अशान्ति को सम्भावना है। इससे इनकी प्रगति रोकने के लिये दो कानूनों की व्यवस्था की गई। इस रिपोर्ट के प्रकाशित होते ही भारत में सन्नाटा छा गया।

यह रिपोर्ट जुलाई १६, १९१८ को प्रकाशित हुई। इसकी सिफारिशें भारत-रक्षा कानूनको स्थायी रूप देने वाली थीं। इसकी व्यवस्था के अनुसार विद्रोह के अभियोग में न ता सूरियों और असेसरों द्वारा विचार हो सकता था, न अभियोग लगाने की साधारण कार्रवाई हो सकती थी और सजा हो जाने के बाद अपील का अधिकार भी नहीं रह जाता था। दूसरी ओर अभियुक्तों का विचार एकान्त में करने की सिफारिश थी, गवाहों का बयान हो सकता था पर उनकी जिरह नहीं हो सकती थी और अदालत उनके बयान को दर्ज नहीं कर सकती थी। इसके अतिरिक्त प्रबन्धक विभाग को अधिकार था कि वह फैल जामिनी मोचलिका तथा जमानत आदि द्वारा व्यक्ति विशेष की खतन्त्रता का अपहरण कर सकती थी। उसे निर्दिष्ट स्थान के भीतर बन्दकर सकती थी, उसे एक खान से हटा कर दूसरे खान पर कर सकती थी अर्थात् नगर बदल का दण्ड दे सकती थी, तथा भनेक