अब मेरे लिये विचार करने को यह शेष रह गया है कि
आपके स्वत्वोंको कैसे प्रान किया जा सकता है । स्वभा.
वत: इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम सरकार के
पास अपने प्रतिनिधि भेजें । कभी कभी गवर्मेण्ट किसी
बातको उस दृष्टिसे नहीं देखतो जिमसे कि हम । ऐसे
समयमें हमको क्या करना चाहिये ? यदि अपने यहां के शासकों को हमने चुना होता और वे हमारे सामने ज़िम्मेदार
होते तो उनकी गवर्मेण्ट को हम अपने वोटों द्वारा बदल
सकते थे । लेकिन जब हमारे पास इस प्रकार का कोई
कार्य-साधक उपाय नहीं है तो हमें क्या करना चाहिये ?
जब कभी सरकार प्रजा की आकांक्षाओं को पूरा नहीं करती,
वह उससे अप्रसन्न हा जाता है और उद्दण्डता करने लगती
है। और मैं जानता हूं कि बहुत लोगों का यह विचार है
कि जब अन्य प्रकारके माधारण आन्दोलन असफल हो गये
हों तो उद्दण्डता ही एकमात्र उपाय है। पर यह एक
बहुत पुराना उपाय है। मैं इसे अत्यन्त क्रूर समझता हूं, और
लोगों नथा सरकारके सामने एक दूसरा उपाय रखनेका
साहस करता हूँ जो सब प्रकार की उद्दण्डताको दूर कर
देता है, और पहले की अपेक्षा कहीं अधिक कार्यसाधक
है। मै समझता हूँ कि अपने स्वत्वोंके प्रतिपादन के लिये
उहण्डताका सहारा लेना हमारे लिये न्याययुक्त नहीं।
मारनेकी अपेक्षा मर जाना कहीं अच्छा है। यदि मैं बारी
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खिलाफतकी समस्य