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प्रतिज्ञा पालन

केवल उनके दिये हुए वचन पूरे किये जायं तो फिर असन्तोष और कलहकी कोई बातें नही रह जाती। यदि मिस्टर आस्कि.थके भाषणका यह अर्थ लगाया जाय कि यह उन्होंने मुसलमानों के स्वार्थ के विरोधमें कहा था तो मिस्टर लायड जार्जका भाषण उसको डाककर ब्रिटिश मन्त्रिमण्डलके भावको स्पष्ट कर देता है। मिस्टर लायड जार्जने अपने वचनके पूरा करनेकी एकमात्र शर्त यही लगाई थो कि मुसलमान सैनिक युद्ध में भाग लेनेके लिये पूणरूपसे तैयार हो जायं और साम्राज्यकी सहयता करें। पर जिन स्थानोको रक्षाका वचन दिया गया था आज उन्हीको छिन्न भिन्न किया जा रहा है। विविध विषयके लेखकने लिखा है कि मिस्टर लायड जार्ज अपनी प्रतिक्षाको पूरी करनेकी चेष्टा कर रहे हैं । मैं आशा करता है कि उसका यह कथन यथार्थ है। पर अभी तक जो कुछ किया गया है उसके आधार पर तो इस तरहकी कोई आशा नहीं की जा सकती। खलोफाको अपनी ही राजधानीमें कैद कर देना या नजरबन्द कर देना केवल वादा पूरा करनेकी बात की हसी हो उडानी नहीं होगी बल्कि अपमानकी भीषणताका और भी बढाना होगा। प्रश्न केवल एक है , तुर्को साम्राज्यको समग्र तुर्कों के प्रान्तोंके ऊपर कायम रहने देकर उसकी राजधानी कुस्तुन्तूनिया रहने देना है या नहीं। यदि इसका उत्तर 'हाँ' है तो भारतीय मुसलमानों के र्धामिक भावोंकी रक्षाके लिये उसका पूर्ण रूपसे विकास होने दीजिये। और यदि उसका नाश करना है तो चाल.