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खिलाफत क प्रश्न


रूप ब्रिटिश उपनिवेशों की तरह हो या अन्य प्रकारका। ये गज्यराष्ट्र सङ्घके सदस्य हों और यदि किसी बात में राष्ट्रलाइ से परामर्श लेना चाहे तो ले सकते हैं पर यह काम उन्हें तुर्की सम्राटके द्वारा करना होगा ।

ये स्पष्ट और व्यक्त बातें हैं जिनको मुसलमान नेताओं ने लिखा और प्रगट किया है और ये ही मुसलमानों के सच्चे उद्गार हैं। इन्हें अंशतः सन्धि सभाने भी स्वीकार किया है। क्या अब भी इनके विषयमें यहो कहा जा सकता है कि ये उन लोगों के क्षणिक जोश या उद्गार के परिणाम हैं जिनके हृदय में नर्क के लिये कोई स्थान नहीं है ।


खिलाफत का प्रश्न ।

( दिसम्बर २४, १९१९ )

टाइम्स आफ इण्डिया पत्रके हम कृतज्ञ हैं कि वह खिलाफत के प्रश्न को बराबर जनता के सामने उपस्थित करता आ रहा है। अभी हाल में ही मिस्टर बालफोर ने कामस सभा में तुर्की के सम्बन्धमें कुछ शब्द कहे थे । यङ्ग इण्डिया के गत अङ्क में हमने उनपर नोट लिखा था। २० दिसम्बर के अङ्क में उस नोट पर लेख लिखते हुए टाइम्स आफ इण्डिया पत्रने लिखा है:---यङ्ग इण्डियाके सम्पादक तथा पाठकों को