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खिलाफत का प्रश्न


यदि ऐसी बात न होती तो वह यह लिखने की कदापि धृष्टता न करता कि मुसलमान जाति में विधायक काम के लिये उन्माह नहीं है और उनमें एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखाई देता जो ऐसो व्यवस्था सामने रखता जो स्वीकार करने तथा कार्यक्रम में लाने के योग्य होती। विगत मई में एसेक्स हाल, लण्डन में जो मभा हुई थी उसकी कार्रवाई की भी जानकारी उसे नहीं है और न उसने उसके जानने का प्रयास ही किया है और न उसे इस बात का पता है कि इस विषयपर चुने हुए विद्वान मुसलमानों का क्या मत है जो भारतीय मुसलमानों के लण्डन में प्रतिनिधि समझे जाते हैं। सर अली अब्बास बेगने--- जिनसे खिलाफत कांग्रेस के अध्यक्ष होने की प्रार्थना की गई थी और जो लण्डन जानेवाले खिलाफत डेपुटेशनके प्रतिनिधि हैं- एम्पेक्स हालकी सभाके नाम एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने प्रधान प्रश्न की व्याख्या करते हुए मुसलमानों की मांग का विवरण दिया था:---

(१) मुसलमानोंके पवित्र क्षेत्र और मन्दिर मुसलमानोंके हाथमें ही रहने चाहिये तथा युद्धके पहलेकी भांनि मुसलमान गजा के ही अधीन होने चाहिये ।

(२) यस और कुस्तुन्तूनिया तुर्कों के निजी स्थान है और उन्हें तुर्की सुलतानके अधीन छोड़ देना चाहिये ।

(३) गुप्त सन्धियां-जिनका अभिप्राय तुकीको छिन्न