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खिलाफतका अर्थ

आर्मेनिया तथा यूनानियों के साथ तुर्को ने जो अत्याचार किया है उसके लिये मैं तुर्की का समर्थन करनेbके लिये तैयार नहीं हूं। तुर्कोंं की बदइन्तजामी और कुशासन को भी मैं इनकार नहीं करता। पर क्या यूनानियों और आर्मे. नियों के माथेपर इस कलङ्क का हलका ठीका है ? और इसके अतिरिक्त खिलाफत की रक्षा केवल एक सिद्धान्त की रक्षा है। पोपीय सम्प्रदाय का समर्थन करनेके लिये केवल एक दो पोप के विषयमें कुछ कहने या लिखने से काम नहीं चल सकता। इससे पोप के सम्प्रदाय का समर्थन या विरोध नहीं हो सकता। तुर्कों के कुशासन का जिस तरह चाहिये विरोध कीजिये उसके प्रतीकारका उचित उपाय निकालिये पर केवल इस कारणसे यूरोपसे इस्लाम धर्मको खोद फेंकना अनुचित है।

एक बात और भी है जर्मन आदि शक्तियों की हार को इस्लाम के नाश में प्रयुक्त करना और भी बुरा है । क्या विगत यरोपीय युद्ध इस्लाम धर्म के प्रतिकूल युद्ध था जिसमें भाग लेनेके लिये भारत के मुसलमान बुलाये गये थे। यह कहना कि मुसलमान जिस चाहें अपना धार्मिक अध्यक्ष बना सकते हैं पर उन्हें तुर्की के छिन्न भिन्न करने में किसी तरहका हस्तक्षेप करनेका अधिकार नहीं है, खिलाफतके महत्वकी अज्ञानताका प्रमाण है। मुहम्मद पैगम्बर के धर्म का रक्षक खलीफाहो हो सकता है। इसलिये यदि किसी व्यक्तिमें संसारके विद्रोहके मुकाबिले इस्लाम धर्मकी रक्षाकी