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काण्डलरकी खुली चिट्ठी

क्या उपरोक्त शब्दका यही अर्थ था कि तुर्काका सम्पूर्ण अधिकार हटा दिया जायगा, तुर्कों के प्रभुत्वका नाश कर दिया जायगा और संरक्षताके बहाने यूरोपीय ईसाइयोंका प्रभाव के लाया जायगा? क्या अरब, आर्मेनिया, मेसापोटामिया, सीरिया तथा पलस्टाइनके मुसलमानोंने नये प्रबन्धको स्वीकार किया है अथवा इन बलिष्ठ शक्तियोंने अपने पशुबलके दम्भमें न्याय तथा ईमानदारीका गला घोंटकर उनके सिरपर यह बोम जर्ब-दस्ती लाद दिया है ? यदि साहसी वीर अरबोंके हृदयमें स्वत-न्त्रताकी स्पर्धा उठती है तो मै उसका हृदयसे स्वागत करनेको तैयार हूं पर उन विचारोंकी इस अवस्थामें क्या दशा होगी जब उनके समृद्ध प्रदेशको चसनेका अधिकार उन लोलुप पूंजी पतियोंके हाथमें सौंप दिया गया है जो सूचना पत्रके अनुसार हर तरहसे सुरक्षित है। यदि प्रधान मन्त्री अपनी प्रतिज्ञाओंको पूरी करके दिखलाना चाहत हैं तो यही उचित है कि टाइम्स आफ इण्डियाके अनुसार इन प्रान्तोंको पूर्ण स्वतन्त्रता दे दी जाय और तुर्कोका इनपर केवलमात्र प्रभुत्व रहे और अरबोंको अन्तर्राष्ट्रीय स्वतन्त्रताक लिये तुर्कीसे आवश्यक जमानत ले लो जाय। पर उस प्रभुत्वको उठा देना, मुसलमानोंके धर्मक्षे-त्रोंपरसे खलीफाका अधिकार हटा देना खिलाफतकी खिल्ली उड़ाना है जिसे कोई भी मुसलमान चुपचाप बैठकर नहीं देख सकता। प्रधान मन्त्रीके वचनोंका जो अर्थ मैंने दिया है वह मेरा ही नहीं है। राइट ऑनरेबुल मिस्टर चार्ल्स राबर्टने ब्रिटिश