उसी दिन आप देखेंगे कि भारतकी ओरसे अंग्रेजोंका विचार बदल जायगा और उसी दिनसे उन सब अस्त्र शस्त्रोंका भी प्रयोग बन्द हो जायगा जो इस समय भारतमें अति करताके साथ नाचती दिखाई देती हैं। मैं जानता हूं कि यह अति दूर की बात है। पर मैं इसकी कोई चिन्ता नहीं करता । यदि मुझे सुदूरमें भी प्रकाश दिखाई दे रहा है तो मेरा कर्तव्य उसीको लक्ष्य करके आगे बढ़नेका है और यदि इस कूचमें मुझे साथी मिलते गये तो मैं इसे आशातीत सफलता मानूगा। मैंने अपने अंग्रेज मित्रोंसे बात चीत करते समय उन्हें भली भांति समझा दिया है कि मैं लगातार अहिंसाकी शिक्षा देता चला आ रहा हूं और मैंने इसकी पूर्ण व्यवहारिक उपयोगिता इखला दी है और यही कारण है कि खिलाफतके सम्बन्धमें मुसलमानोंके हृदयों में जो हिंसाकी प्रवृत्ति है वह अभी तक दबी पड़ी है।
७)धार्मिक दृष्टिमे सातवें प्रश्नपर विचार करना ही निरर्थक प्रतीत होता है। यदि जनता मच्चे हृदयसे असहयोगको ओर तत्परता न दिखाधे तो खेद और लज्जासी बात है। पर केवल इतने मात्रसे सुधारक इस अस्त्र के प्रयोगको स्थगित नहीं कर देगा। इससे मुझे इस बात पता अवश्य लग जायगा कि जनतामें इस समय जो आशाकी उज्वल किरणें झलक रही है उनका आधार किसी तरहकी आन्तरिक स्थिरता नहीं है बल्कि अन्धविश्वास और मूर्खता है।
(८) यदि सच्चे हृदयसे असहयोगको खीकार कर लिया