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मैंने खिलाफतका साथ क्यों दिया ।

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( अप्रेल २८, १९२०)

दक्षिण अफ्रिकाके एक निष्ठ मित्रने---जो इस समय इङ्गलैण्डमें है--- मेरे पास एक पत्र लिखा है जिसमेंसे मैं निम्न लिखित अव तरण दे देना उचित समझता हूं:---

"आपको स्मरण होगा कि जिस समय रेवरेण्ड जे. जे. डोक दक्षिण अफ्रिकाके सत्याग्रह आन्दोलनमें आपकी सहायता कर रहे थे आपसे मेरी मुलाकात हुई थी। उस देशमें जिस सचाईके मार्गका आपने अनुसरण किया था उससे मैं अतिशय प्रभावावित हुआ था। तबसे मैं इङ्गलैण्ड लौट आया। युद्धके जमाने में कई स्थानपर मैंने आपके पक्षमें भाषण भी किया और पत्रोंमें भी लिखा जिसके लिये मुझे खेद नहीं है। जबसे मैं सैनिक सेवासे लौटा हूं मुझे विदित हुआ है कि आप युद्धके लिये उतारू हो रहे हैं .......टाइम्समे अभी हालमें ही एक पत्र प्रकाशित हुआ है जिससे विदित होता है कि तुर्की साम्राज्यके छिन्न भिन्न तथा कुस्तु. न्तूनियासे उसे निकाल देने पर आप मित्रराष्ट्र तथा इङ्गलैण्डसे बदला लेनेके हेतु उन्हें तङ्ग करनेके लिये हिन्दू और मुसलमानों में एक तरहसे मेल करानेकी चेष्टा कर रहे हैं। मुझे आपकी न्याय प्रियतापर जितना भरोसा है और विचार शक्तिपर जितना