रखा है। यदि वह मर्यादा कलङ्कित हो गई तो समृद्धि, शक्ति और सैनिक क्षमता तथा व्यक्तित्व किस काम को? इसलिये जिस समय मैंने रूटरके तारसे प्रधान मन्त्रीके भाषणका सारांश पढ़ा मुझे अत्यन्त खेद हुआ क्योंकि इससे मुसलमानोंकी आत्मापर कड़ी चोट पहुंची और इस बातकी आशङ्का हो गई कि प्रधान मन्त्रीने बड़े सोच समझके बाद जो वचन मुसलमानोंको दिये थे और जिससे आशान्वित होकर मुसलमानोंने पानीकी तरह अपना खन बहाया था और असीम राजभक्तिका परिचय दिया था, अब उसीके खिलाफ निर्णय किया जायगा अर्थात् उस वक्त के पालनकी चेष्टा न की जायगी। पर मैं अभीसे निराश नहीं हो गया हूं। मुझे पूर्ण आशा है कि अबभी वुद्धिमानी और दूरदर्शितासे काम लिया जायगा और मुसलमानोको मांगोंपर समुचित ध्यान दिया जायगा। यदि खिलाफतका प्रश्न उचित तरहसे हल न किया गया तो खिलाफत कमेटो असहयोगकी योजना करेगी। विषय निर्धारिणी सभा तथा साधारण सभा दोनों अवसरोंपर मुझे उपस्थित रहनेका सौभाग्य प्राप्त था। मैं इस अवसर पर सरकारको सचेत कर देना अपना कर्तव्य समझता हूँ कि यह अवस्था बहुत ही गम्भीर है और यह समस्या अति विकट है। खिलाफत कमेटीने जो निर्णय किया है वह भी साधारण निर्णय नहीं है। मैं जानता हूँ कि असहयोग करना साधारण बात नहीं है। इसमें यातना सहनेकी योग्यता होनी चाहिये। मैं यह भी जानता है कि यदि प्रजा समझ ले कि सरकारके साथ
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खिलाफत कांफरेंस