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खिलाफतकी समस्या


किसी तरहका भाग न लेंगे। मेरी समझमें उनका यह निर्णय नितान्त उचित और उपयुक्त हुआ है। जबकि भारतकी चौथाई जनताके भाग्यका निपटारा अभी तक नहीं कर दिया गया है तो भारतवर्षके लिये विजयोत्सवका क्या अर्थ रहा। खिलाफत सम्बन्धी सन्धिकी शर्तों से ८ करोड़ मुसलमानोंका घना सम्बन्ध है। जब तक खिलाफतका प्रश्न कच्चे धागेमें बंधा लटक रहा है तबतक उन्हें विजयोत्सव मनानेके लिये कहना अनुचित है। जिस तरह अलसेस लारेंसके प्रश्नका निपटारा किये विना फ्रांस को विजयोत्सव मनाने के लिये कहना असाधारण घटना होती उसी प्रकार खिलाफतके प्रश्नका निपटारा किये विना भारतवर्षको विजयोत्सव में भाग लेने के लिये कहना भूलसे भरा है। तुर्को भारतके बाहर है यह कहनेसे इस प्रश्नपर किसी तरहका असर नहीं पहुंचता। इङ्गलैण्ड की शक्ति जितना ईसाइयोंपर निर्भर है उतना ही हिन्दू और मुसलमानोंपर निर्भर है। इसलिये यदि भारतवर्ष साम्राज्यका हिस्सेदार हो सकता है तो मुसलमानोंकी रक्षाकी उतनी ही आवश्यकता है जितनी अन्य किसीकी। इसलिये बड़े लाटके लिये यही उचित होगा कि जबतक खिलाफतके प्रश्नका निपटारा नहीं हो जाता वे भारतमे विजयोत्सवको योजना न करें।

ब्रिटनकी इज्जतपर धब्बा

यह प्रश्न ऐसा है जिससे ब्रिटनकी इज्जतपर धब्बा लग सकता है क्योंकि प्रधान मन्त्रीने मुसलमानोंको वचन दे