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खिलाफतकी समस्या


क्योंकि इससे मूर्ख और उद्धत प्रकृति के लोगों का जमाव हो जाता है जिनसे हानि पहुंचने की सम्भावना रहती है। खिलाफ- तका प्रश्न अतिगहन है। गुप्त सन्धियों द्वारा इसे और भी जटिल बना दिया गया है। पर अभी से निराश हो जानेका कोई कारण नहीं है। जिन आठ करोड़ आदमियोंका पक्ष समर्थन करने के लिये न्याय खड़ा है वे अपनी सत्ता कही भी प्रमाणित कर सकते हैं। इसलिये मुसलमान भाइयोंको केवल अपनी शक्ति को सञ्चय करना है। विगत शुक्रवार का समारोह यद्यपि बहुत ही वृहत् था पर उसकी सत्ता क्षीण होकर गायब हो सकती है यदि लगातार प्रयास द्वारा उसकी पुष्टिकी व्यवस्था नहीं की जायगी। सरकारको मुसलमानों के आन्तरिक भावों को अवश्य समझ जाना चाहिये और इस बातका पता सरकारको देनेका एकमात्र तरोका यही है कि हृदयके भाव जितने बलवान या भीषण हों उतनी ही यातना सहनेके लिये तैयार हो जाना और उसीके द्वारा सरकारको अपनी मन्शाका पता दे देना चाहिये । यदि ब्रिटिश साम्राज्यका मन्त्रिमण्डल इस जटिल और विकट प्रश्नको सुलझाना चाहता है तो इस तरह पढ़े लिखे लोकमत के अनवरत प्रयत्नसे उसे सहायता मिलती रहेगी। पर इस काममें किसी तरहका दिखाव, बनावटीपन या शोरगुल नहीं होना चाहिये । शान्तिपूर्वक सच्चे दिलसे काम करते रहना चाहिये ।

अनेक स्थानोंपर इस अभिप्रायके प्रस्ताव पास किये गये कि