ही यह स्पष्ट हो जाता है। उनके इस लिखनेका क्या;अभिप्राय है कि---शासन सुधारके पूर्व हत्यादि उपायों से इस तरह प्रसिद्धि प्राप्त ।' भाग्यवश जब हत्यारोंके दलका अन्त हो गया है तो फिर उनकी चर्चा किस काम की । जब तक अंग्रेजों के दिमागमें यह दम्भपूर्ण भाव भरा रहेगा कि हम संसारमें सबसे श्रेष्ठ है और हमसे भूल हो ही नहीं सकती जब तक सच्ची बातोका जानना उनके लिये अति कठिन है ।
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( जुलाई १३, १९२१ )
गये दिन संयुक्त प्रान्तकी लिबरल लीगकी ओरसे बडे लाट-
के पास एक डेपुटेशन भेजा गया था। डेपुटेशनके उत्तर में बड़े
लाटने जो भाषण किया था वह अहमदिया डेपुटेशन के उत्तर में
किये भाषण से कही सतर्क था। तोभी बड़े लाट महोदय से
इतना कह देना आवश्यक है कि मापने अपने भाषणमें असम्भव
बातांकी आशा की है। उदार ओर राष्ट्र वादी, सहयोगी और
असहयोगी, हिन्दू. मुसलमान, सिक्ख, जैन, पारसी ईसाई
और यहूदी, जिनको भारतीय हानेका अभिमान है, सभी अपनी
अपनी नीतिके अनुसार इस बातपर जोर देते हैं कि पंजाब के अत्याचारों का प्रतीकार होना चाहिये। बड़े लाट महोदय खिलाफतके
प्रश्नपर अब भी जोर देते जा रहे हैं। इससे कुछ आशा है और