सहानुभूति प्रायः करके हत्यारों की ओर ही आकृष्ट
है इससे मुझे लेशमात्र भी आशा नहीं करनी चाहिये कि
मेरी बातोंका आपपर किसी तरहका प्रभाव पड़ेगा। फिर भी मैं
यथासाध्य सबका पता लगाना चाहता हूँ। इसलिये मैं
आपके पास उन नोटोंकी प्रति भेजता हूं जिन्हें मैंने समय समय पर किया है। यदि आप अमृतसरकी सशी घटनाका विस्तृत
वृत्तान्त लिखें जा कुछ १० अप्रल १९१६ तथा इसके बाद
विशेषकर १३ अप्रेलको हुई और साथ ही साथ यदि जेनरल
डायरके पक्षमें कोई बातें हों तो उन्हें भी प्रकाशित करें तो मैं,
केवल सत्य बात जाननेवालोंके नाते आपका अतिशय कृतक
हूंगा। केवल गालियां और कड़े शब्द किसा बातका सचाई.
को नही साबित कर देते। इसे तो आप भी मानते है और
मापने अपने पत्रमें ( यंग इण्डियामे ) समय समयपर इसके पक्षमें
लिखा भी है।
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पुनश्चः-इस प्रश्नपर इस तरहसे विचार कीजिये। सर
कारका एकमात्र अफसर जेनरल डायरने-जो उस समय घट-
नास्थलपर उपस्थित था-कई सौ आदमियों को गोलीसे मार
डाला (जिनमें अनेक निर्दोष व्यक्ति भी 'मजमा नाजायज में
शामिल हो गये थे) गोली चलानेमें उसे पक्का विश्वास था कि