वस्वर्य स्मिथ, राय सोताराम तथा अन्य अधिकारी-जिनका नाम कांग्रेस सबकमेटीकी रिपोर्ट में दिया गया है की बरखा-स्तगी है। जेनरल डायर नीच है तो हमारी समझमें वस्वर्थ स्मिथ नीबतर है। उसके अत्याचार जालियां-वाला बागके कत्ले आमसे कहीं घृणित हम समझते हैं। जेन-रल डयारका यह दूढ़ मत था कि लोगोंपर गोलियां चला कर उन्हें भयभीत कर देना सिपाहियाना बहादुरी होगी। पर धस्वर्थ स्मिथ जानबूझकर जालिम नशंस, नोच और पतित बना। उसके संबंध जो वयान दिये गये हैं, यदि वे अक्षरशः सत्य हैं तो कहना पड़ता है कि उसमें मनुष्यताका लेश भी नहीं था। जेनरल डायरकी भांति अपने किये हुएको स्वीकार कर लेनेका भी साहस उसमें नहीं है और जब प्रश्न किया जाता है तो बगलें झाकने लगता है और टाल मटोल करता है। इस अफसरको स्वतन्त्रता दे दी गई थी कि वह निर्दोष और बेकसूर जनतापर अपना जालिम हाथ मन-माना चलावे और इस प्रकार जिस कानून और शासनकी रक्षाके लिये नियुक्त किया गया था उसीको अपमानित और कलङ्कित करे।
पञ्जाबियोंका क्या कर्तव्य है ? क्या उनका कर्तव्य नहीं है कि जब तक मिस्टर स्मिथ तथा उनकी तरहके अन्य अपराधी अधिकारी नौकरीसे छोड़ा न दिये जायं, वे चैन न लें? यदि पञ्जाबके नेता जेलसे आकर अपनी पूर्णशक्तिका