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असन्तोष और दमनका दौरा ।

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( नवम्बर ०१, १९१९ )

सरसकरम् नायरने भारत सरकारकी प्रबन्धकारिणी सभा से अपना सम्बन्ध क्यों तोड़ा, इस विषयमें जबतक घे भारतमें थे मौन धारण किये रहे। पर लण्डन पहुंचकर उन्होंने उसका कारण स्पष्ट बतला दिया। इस सम्बन्धमें उन्होंने “भारतमें असन्तोष और दमन” शीर्षक एक लेख श्रीमती एनी बेसेण्टके नये साप्ताहिक पत्र युनाइटेड इण्डियामें लिखा है। उनके लेखको पढ़नेसे स्पष्ट हो जाता है कि सरकारकी दमननोति---जिसका उन्हें अपनी इच्छाके सर्वथा विरुद्ध समर्थन करना पड़ता था---उनकी आत्माको सदा वेधती थी। उससे वे तङ्ग आ गये थे जबकि उनके ही शब्दों में, पञ्जाबके विद्रोहमें उसका हद हो गया, जहां सरकारको इसलिये मार्शल ला जारी करना पड़ा कि अंग्रेजोंकी जानमाल सुरक्षित नहीं है और बलवा उठ खड़ा हुआ है। उन्होंने आगे चलकर लिखा है:---"इस बातको सदा स्मरण रखना चाहिये कि पंजाब भारत के प्रान्तोंमें सबसे राजभक्त समझा जाता था और प्रान्तीय गवर्नर इसके राजभक्तिकी तथा युद्धके समय किये गये आत्मत्यागकी प्रशंसा करके भी नहीं अघाते थे तथा मन्य प्रान्तोंके होमरूल आन्दोलनसे इसके राजभक्तिकी तुलना