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पंजाबकी दुर्घटना


पढ़कर कोई भी इस फैसलाके लिखनेपालेको जज नहीं कह सकता। सारा फैसला तर्कशून्य है। अनुमान को खींचतान- कर असंबद्ध तर्कके आधारपर न्यायपति इस फैसलेपर पहुंच सके हैं। और मुकदमे के विवरणमें जिन बातोंको परसोतम सिंहने लिखा है यदि वे सच हैं तो मैं मार दृढ़ताके साथ कह मझता हूं कि जिल अफलरने इस मुकदमे का विचार किया है मोर ऐसा फैसला लिखा है वह उस पद के सर्वथा अयोग्य है। जमायतसिंह पर दोषारोपण किया गया है कि वह मस्जिदवाली सभामें उपस्थित थे और हड़तालके पक्षका समर्थन किया था। और दूसरा दोष यह था कि वे धनो हैं, क्योंकि मजिस्ट्रेटने फेसलेमें लिखा है कि पक्षपातहोन सफाईके गवाहोंके वया- मपर भी विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि जमायतसिंह, धनी महाजन है। आगे चलकर फिर मा जस्ट्रेटने फैसलेमे लिखा है:-"क्या जमायतसिंह का उन बलवाइयोंके साथमें होना- जिन्होंने सैनिकोंपर पत्थर फेंका था—उसको दोषी ठहरानेके लिये काफी प्रमाण नही है। मैं यह स्वीकार करता है कि उसने चाहरदीवारोके तारोंको तोड़नेमे लड़कोंको रोका। पर इसके लिये अन्य कारण भी हो सकते हैं। इतना तो निश्चय प्रमाणित हो जाता है कि वह बलवाइयोंके साथ था।" इस प्रकार इस निर्णय पर पहुंचकर मजिस्ट्रेट ने उन सभी बातोंको सुननेसे और उनपर विचार करनेसे इन्कार कर दिया जो अमि- युक्तके पक्षमें थीं। जो कुछ मैंने कहा है उसकी सचाईकी