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जेनरल डायर ।

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जुलाई १४, १९२०

आर्मी कौंसिल ने जेनरल डायरको दोषी ठहराया है कि उसने समझकी भूल' की और फैसला किया है कि राज्य के अन्तर्गत उसे काई पद नहीं मिलना चाहिये। जेनरल डायर के आचरण की निन्दा करने में मिस्टर मांटेगू ने कोई बात उठा नहीं रखी है। पर तोभी न जाने क्यों मेरो यही धारणा है कि जेनरल डायर सबसे बड़ा अपराधी नही है । इसमें कोई सन्देह नहीं कि उसने घोर बूचड़पन का काम किया । आमी कौंसिल के सामने अपनी सफाई के लिये उसने जो कुछ कहा है उसके प्रत्येक शब्द में उसकी हीनता और सिपाहाके अयोग्य बुजदिली टपकती है। उसने उस निरस्त्र नर-नारी और बालक तथा वृद्धों के दल को विद्रोही दल बतलाया है। वह समझता है कि उसने उन आदमियों को जोकि एक अहातेमें बन्दकर दिये गये थे-कुत्ते बिल्लियों या चूहोंकी तरह बेकसी की अवस्थामें मारकर पंजाब का उद्धार किया। ऐसा व्यक्ति सैनिक की श्रेणी में गिने जानेके सर्वथा अयोग्य है । उसके आचरण में वीरताका कहींसे गन्ध भी नहीं था। उसको किसी तरहके खतरेका समाना नहीं करना पड़ा था। उसने विना सूचना दिये ही धड़ाधड़ गोलो चलाना आरम्भ