पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२८१

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अंगरेज रमणी की आशीष।

'एक अंगरेज महिला' ने कलकत्ते से एक पत्र भेजा है। उसमें उन्होंने अपना नाम और पता भी दिया है। आप लिखती हैं—— श्रीगांधी जी जिस अनोखे ढड़्ग से हमें सत्य का दर्शन करा रहे हैं और हमारी आंखें खोल कर हमें अपनी उच्च-हृदय कहलाने वाली सरकार के हीन काम देखने का अवसर दे रहे हैं उसे देखकर मन मुग्ध हो जाता है। एक 'अङ्गरेज पादरिन' ने जो पत्र उन्हें भेजा है वह भी प्रशंसनीय है। मेरा खयाल है कि ऐसे और भी कितने ही लोग होंगे; पर अभिमान वश वे गांधी जी के उच्चकार्य को मानने के लिये तैयार नहीं हैं। उनका धैर्य और कार्य एक गहरे पृथ्वी के पेट में छिपे हुए झरने की तरह है। संसार चाहे किसी बातका उपदेश करता रहे, परन्तु ईश्वर उन्हें उनकी आशा से भी बढ़ कर सफलता देगा। जो लोग शान्ति के साथ चुपचाप कार्य करते हैं वही सफलता के अधिकारी होते हैं। लाखों आदमी आज उनपर दृष्टि जमाये हुए हैं और उनके विषय में विचार कर रहे हैं। परन्तु इन सबसे बढ़कर एक शक्ति है जो उनके दैनिक जीवन के युद्ध को बड़े गौर से देख और विचार रही है और जब उनके ये दीर्घ परिश्रम और युद्ध के दिन समाप्त हो जायंगे तब उनका काम और नाम संसार में अमर हो जायगा। उनके कठोर परिश्रम के द्वारा जिन लाखों लोगों को आजादी