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सत्याग्रह आन्दोलन

फजूल है। वकील ही सबसे प्रथम व्यक्ति हैं जो कानूनोंकी बुरा-ईको सबसे प्रथम समझ सकते हैं। इसलिये उनका कर्तव्य यही होना चाहिये कि यदि वे किसी अनुचित कानन का निर्माण होते देखें तो सबसे पहले उसकी सविनय अवज्ञा करना आरम्भ कर दें ताकि अशान्ति और उपद्रव न होने पावे । वकी-लोको कानून और स्वतन्त्रताका अभिभावक होना चाहिये और इस हैसियतसे उन्हें सदा इस बातकी चेष्टा करनी चाहिये और ध्यान रखना चाहिये कि काननकी पुस्तकमें किसी तरहके बुरे कानून न भरे जायं। पर बम्बई हाईकोर्ट के जजोंने उनके पद-को केवल पैसा कमानेवाला बतलाया है और जजों तथा वकी-लोंके कर्तव्यको अन्धेरेमें डाल दिया है। इस असह्य स्थितिके निवारणका एकमात्र यही उपाय है कि सत्याग्रही वकील अपने अभियोगको बोर्डमें पुनः विचारके लिये उपस्थित करें और फैसला करा लें। इस बातकी प्रसन्नता है कि जजोंने इस मार्ग-को अवरुद्ध नहीं कर दिया है।