जबकि उसकी सविनय अवज्ञा से रक्षा करनी है और सत्यकी
खोजमें सविनय अवज्ञा करके हिंसासे दूर रहनेका उपाय भी
सोचना अति कठिन है। यह सप्ताह राष्ट्रीय उत्थानका महान
साधन है। इसमें जातिपातिके भेदभावको दूर करके सबकी
सहायताकी आवश्यकता है। इसलिये ऐसे अवसर पर सवि-
नय अवज्ञाकी सलाह देना उचित नहीं प्रतीत होगा।
६ और १३ को तो प्रार्थना और उपवास करना है। साथ ही जलियांवाला बागके स्मारक कोष के लिये चन्दा इकट्ठा करना है। हमें पूर्ण आशा है कि प्रत्येक प्रान्त, प्रत्येक जिला और प्रत्येक नगरमें इसके निमित्त पूर्ण संगठन होगा।
तीसरा प्रधान कार्य सप्ताहभरमे तीन सभायें करनी हैं, ये
सभायें भारतके सभी स्थानोंपर एक नियत समयपर होनी चाहिये
और उनमें निर्दिष्ट प्रस्ताव पास होना चाहिये । एक प्रस्ताव
रौलट ऐकृपर होना चाहिये जिसके कारण सत्याग्रहका जन्म
हुआ है, दूसरा प्रस्ताव खिलाफतपर होना चाहिये क्योकि यही
हिन्दूमुस्लिम एकताका बीज है। तीसरा प्रस्ताव जालियां-
वाला बागके सम्बन्धमें १३ अप्रेलको पास होना चाहिये ।
इस प्रस्तावमें सरकारसे प्रार्थना करनी चाहिये कि वह ऐसी
व्यवस्था कर दे जिससे भविष्यमें इस तरहके अनर्थ होनेकी
सम्भावना उठ जाय, जिस तरहके अनर्थ हमलोगोंने मार्शल
लाके दिनोंमें पंजाबमें होते देखा है और जिसका प्रारम्भ
मर्शल ला जारी करनेके पहले ही १३ तारीखके कत्ले आमके